क्षय उन्मूलन कार्यक्रम में गोरखपुर को प्रदेश में मिला तीसरा स्थान
गोरखपुर
जनवरी से मई के बीच हुए टीबी नोटिफिकेशन समेत नौ बिंदुओं पर हुआ मूल्यांकन
गोरखपुर। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) में बेहतर योगदान के लिए गोरखपुर जिले को पूरे प्रदेश में तीसरा स्थान मिला है । यह रैंकिंग जनवरी से मई के बीच हुए टीबी नोटिफिकेशन समेत नौ बिंदुओं पर मूल्यांकन के बाद मिली है । जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव ने यह जानकारी दी । उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश, मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीणा और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे के कुशल नेतृत्व में यह उपलब्धि कार्यक्रम से जुड़े सभी स्वास्थ्यकर्मियों व सहयोगी संस्थाओं के योगदान से संभव हो सकी।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि गोरखपुर जिले को कुल 88 स्कोर मिले हैं । अयोध्या जनपद 91.1 स्कोर के साथ पहले स्थान पर, जबकि रामपुर जनपद 89 अंक के साथ दूसरे स्थान पर है । टीबी नोटिफिकेशन और उपचार दर में जिले को शत प्रतिशत स्कोर मिले हैं । स्कोरिंग नौ बिंदुओं में प्रदर्शन के आधार पर की जाती है । इन बिंदुओं में टीबी नोटिफिकेशन, सीबीनॉट जांच (यूडीएसटी), उपचार सुरक्षा दर, निक्षय पोषण योजना के तहत भुगतान, ड्रग रेसिस्टेंट टीबी उपचार, खर्चे, टीबी प्रिवेंटिव ट्रिटमेंट और एचआईवी मरीजों के लिए टीबी प्रिवेंटिव ट्रिटमेंट शामिल हैं।
डॉ यादव ने कहा कि जिले के प्रदर्शन को और बेहतर बनाने और टीबी उन्मूलन के अभियान को सफल बनाने में सामुदायिक सहयोग की भूमिका अहम है । टीबी उन्मूलन को जनांदोलन बनाने की आवश्कता है । अगर किसी को दो सप्ताह से अधिक की खांसी आ रही है, शाम को बुखार चढ़ता है, पसीने के साथ बुखार होता है, बलगम में खून आ रहा है, तेजी से वजन घट रहा है और भूख भी नहीं लगती है तो वह टीबी का संभावित मरीज हो सकता है । ऐसे संभावित रोगी की जांच नजदीकी आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, अतिरिक्ति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला स्तरीय अस्पताल में सरकारी प्रावधानों के तहत कराई जा रही है । बलगम जांच में टीबी की पुष्टि न होने पर एक्सरे जांच से टीबी का पता लगाया जाता है । एक बार टीबी की पुष्टि हो जाने के बाद सीबीनॉट मशीन से जांच करा कर पता लगाया जाता है कि मरीज ड्रग रेसिस्टेंट टीबी से तो पीड़ित नहीं है । अगर डीआर टीबी नहीं है तो छह माह इलाज चलता है । डीआर टीबी की दशा में एक साल या उससे अधिक इलाज चलता है । दोनों ही स्थिति में मरीज ठीक हो जाता है।
मिलती हैं सुविधाएं
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि एक बार टीबी मरीज नोटिफाई होकर जब निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत कर लिया जाता है तो उसे कई योजनाओं का लाभ मिलता है । उसकी एचआईवी व मधुमेह की जांच कराई जाती है । इलाज चलने तक 500 रुपये प्रति माह की दर से पोषण के लिए खाते में पैसे भेजे जाते हैं । जरूरतमंद मरीज को एडॉप्ट करवाया जाता है और इससे उसे अतिरिक्त पोषण व मानसिक सम्बल मिलता है । नये टीबी मरीज की सूचना देने वाले निजी चिकित्सकों और गैर सरकारी व्यक्तियों को भी पांच सौ रुपये खाते में देने का प्रावधान है । टीबी मरीजों के निकट सम्पर्कियों की जांच करा कर टीबी न होने की दशा में भी टीबी प्रिवेंटिव ट्रिटमेंट (टीपीटी) के तहत छह माह तक बचाव की दवा खिलाई जाती है । निजी क्षेत्र के चिकित्सक जब टीबी मरीज को नोटिफाई कर देते हैं तो उन्हें भी कई सरकारी सुविधाएं मिलने लगती हैं ।
अधिक जानकारी के लिए करें सम्पर्क
डॉ यादव ने बताया कि टीबी के इलाज, दवा व अन्य सुविधाओं के सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए जिला क्षय रोग केंद्र में जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह और पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र से मोबाइल नम्बर 8299807923 पर सम्पर्क किया जा सकता है ।