पहली बार दस्तक पखवाड़े का हिस्सा बना फाइलेरिया

गोरखपुर

17 जुलाई से 31 जुलाई तक फाइलेरिया रोगियों के लिए होगा सर्वे

लोगों को बीमारी के लक्षणों और बचाव के बारे में दी जाएगी जानकारी

गोरखपुर। जुलाई माह में प्रस्तावित दस्तक पखवाड़े में पहली बार फाइलेरिया बीमारी को भी शामिल किया गया है। वर्ष 2027 तक इसके उन्मूलन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए लक्षणयुक्त मरीजों को ढूंढने, समुदाय को जागरूक करने और सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के दौरान घर घर लोगों को दवा खाने के लिए तैयार करने में यह महत्वपूर्ण कदम होगा। यह जानकारी देते हुए जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि अभियान के दौरान न सिर्फ फाइलेरिया रोगियों के लिए सर्वे होगा, बल्कि लोगों को बीमारी के लक्षणों और बचाव के बारे में जानकारी भी दी जाएगी।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि दस्तक पखवाड़े के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की टीम घर घर जाती हैं और बुखार के रोगियों को चिन्हित कर उनकी लिस्टिंग करती हैं। इस बार फाइलेरिया के रोगियों की भी लिस्टिंग की जाएगी। फाइलेरिया (हाथीपांव) से ग्रसित मरीजों के साथ साथ हाइड्रोसील के मरीजों की भी सूची बनेगी। यह भी चिन्हित किया जाएगा कि हाथीपांव ग्रसित कितने मरीजों को एमएमडीपी किट दी गयी और हाइड्रोसील के कितने मरीजों की सर्जरी कराई गयी। लक्षणयुक्त नये मरीज ढूंढ कर उन्हें जांच के लिए प्रेरित किया जाएगा। फाइलेरिया की पुष्टि होने पर बचाव के त्वरित उपाय किये जाएंगे।

श्री सिंह ने बताया कि विश्व में दिव्यांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण फाइलेरिया ही है जिसे आमतौर पर हाथीपांव के नाम से जाना जाता है। फाइलेरिया होने के बाद इसका इलाज संभव नहीं है । इससे बचाव के लिए दो ही उपाय हैं । एक तो मच्छरों से बचाव किया जाए और दूसरा पांच साल तक लगातार साल में एक बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के दौरान इससे बचाव की दवा खाई जाए । हाथीपांव के मरीज की शीघ्र पहचान होने पर प्रभावित अंग के प्रबंधन और व्यायाम से इसके और गंभीर स्वरूप को रोका जा सकता है । फाइलेरिया के कारण ही होने वाले हाइड्रोसील को सर्जरी के जरिये ठीक किया जा सकता है । दस्तक पखवाड़े के दौरान मच्छरों से बचाव और दवा सेवन के संदेश के साथ साथ मरीजों को ढूंढ कर उन्हें हाथीपांव प्रबन्धन की व्यवस्था से जोड़ना लक्ष्य है ।

फाइलेरिया को जानिये
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि यह बीमारी क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होती है । इसके संक्रमण के लक्षण पांच से पंद्रह वर्ष में हाथीपांव, हाइड्रोसील, महिलाओं के स्तन में सूजन व पुरूषों में काईल्युरिया (पेशाब में सफेद रंग के द्रव का आना) के तौर पर दिखाई देते हैं । इससे बचाव के लिए दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों (गर्भवती व अति गंभीर बीमार लोगों को छोड़ कर) को दवा का सेवन करना है । मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे और नोडल अधिकारी डॉ एके चौधरी के दिशा निर्देशन में यह संदेश घर घर पहुंचाया जाएगा।

मिली राहत
पिपराईच ब्लॉक के सरण्डा गांव की निवासी शकीला (40) बताती हैं कि उनके दाहिने पैर में पिछले पंद्रह वर्षों से हाथीपांव का सूजन है । इससे चलने फिरने में काफी दिक्कत होती थी । इसी साल वह लक्ष्मी फाइलेरिया मरीज सहायता समूह से जुड़ीं तो उन्हें पैर की साफ सफाई और व्यायाम का तरीका सिखाया गया । व्यायाम में एड़ियों के बल दीवार के सहारे खड़ा होना होता है । रोजाना शाम को पंद्रह बार यह करना है। स्वास्थ्य विभाग से उन्हें बाल्टी, मग, तौलिया आदि भी मिला है जिससे वह प्रभावित अंग की साफ सफाई करती हैं । उनकी बीमारी पूरी तरह से ठीक तो नहीं हो सकी है लेकिन साफ सफाई और व्यायाम से काफी आराम मिला है ।

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