कहवां से आवे राम कारी रे बदरिया…
संस्कृति
पारंपरिक लोकगीतों की दस दिवसीय कार्यशाला का समापन
नई पीढ़ियों के लिए उपयोगी साबित होगी लोक गीत कार्यशाला : सुधा मोदी
लोक विरासत और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए सरकार चला रही अभियान : मनोज गौतम
अपने परंपरा से संबंधित गीतों को नर्सरी चला रहा है “भाई” : डॉ. सुरेश
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश संस्कृत विभाग के सहयोग से शारदा संगीतलय द्वारा आयोजित पारंपरिक लोकगीतों की 10 दिवसीय कार्यशाला का समापन मंगलवार को विजय चौक स्थित एस एस एकेडमी में …कहवां से आवे राम कारी रे बदरिया… सावनी झूमर गीत से हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी एवं कवियत्री सुधा मोदी ने कहा यह कार्यशाला निश्चित रूप से नई पीढ़ियों के लिए बहुत ही उपयोगी है, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ मनोज गौतम ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार अपनी लोक विरासत और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए पूरे प्रदेश में कार्यक्रम चला रही है । बतौर विशिष्ट अतिथि डॉ सुरेश ने कहा कि नई पीढ़ी जो कल के भविष्य हैं उन्होंने अपने परंपरा से संबंधित गीतों को सिखकर निश्चित रूप से एक मिसाल कायम की है।
कार्यक्रम के निदेशक डॉ राकेश श्रीवास्तव ने बताया उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के सहयोग से 10 दिवसीय इस कार्यशाला में पारंपरिक लोकगीतों में मुंडन गीत, जनेऊ गीत, झूमर, कजरी, नकटा, लाचारी, देवी गीत का प्रशिक्षण दिया गया है इस कार्यशाला में लगभग 32 प्रशिक्षणार्थियों ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त किया है जिन्हे आज प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया प्रशिक्षण में भाग लेने वालों में अमिता श्रीवास्तव,मीना कुमारी,शीतल साहनी, स्वेता सिंह,निधि श्रीवास्तव,पंकज मिश्रा,अमन शर्मा,पवन पंछी, दीपिका, शिवांगी तिवारी, कनिष्का अग्रवाल,शालिनी गुप्ता,मुस्कान, रूपा सहित 32 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन शिवेंद्र पांडेय तथा आभार ज्ञापन कनक हरी अग्रवाल ने किया।