धूमधाम से निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
गोरखपुर
हरे राम, हरे कृष्ण की धून पर झूमते रहे श्रद्धालु
यात्रा का शुभारंभ पुष्पदंत जैन ने भगवान की रथ को खीच कर किया
गोरखपुर। विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी पूरे हर्षोल्लास पूर्वक भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा धूमधाम से निकली गई। बैंड-बाजे के बीच हरीश चौक स्थित शीशमहल मन्दिर से मंगलवार को दोपहर 4 बजे यात्रा निकाली गई। यात्रा का शुभारंभ प्रदेश व्यापार कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष पुष्पदंत जैन ने भगवान जगन्नाथ की रथ को अपनी हाथों से खीच कर किया। यात्रा हरीश चौक स्थित मंदिर से निकल कर अंधियारी बाग, दुर्गाबाड़ी, चरन लाल चौक, आर्यनगर, थवई का पुल, दीवान बाजार, बेनीगंज होते हुए पुनः शीशमहल मन्दिर पहुंच कर सम्पन्न हुई। यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल थे। ध्वज पताका के साथ यात्रा की अगवानी में सबसे आगे घोड़े चल रहे थे। इसके बाद हरे राम, हरे कृष्ण की धूम पर झूमते इस्कान मंदिर की टीम (भक्त) यात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे।
यात्राा जिस ओर से गुजरती लोग शामिल होते गए। देखते ही देखते यह यात्रा एक विशालकाय रूप धारण कर लिया। सभी भक्त भगवान जगन्नाथ की जयघोष के बीच थिरक रहे थे। माहौल पूरी तरह भक्ति से परी पूर्ण था। बता दें कि जगन्नाथ जी को श्री कृष्ण जी का अवतार माना गया है। उनका पावन धाम उड़ीसा जगन्नाथ पुरी है। इसे प्रमुख धामों में से एक माना गया है। आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को भगवान जगन्नाथ, बलराम जी और सुभद्रा जी को रथ पर विराजमान कर रथ यात्रा निकाली जाती है।
बेनीगंज (हरीश चौक) स्थित शीश महल मंदिर बाबू मथुरा प्रसाद खजांची का पुस्तैनी मन्दिर है। यह रथ यात्रा सन् 1848 ई0 से बाबू मथुरा प्रसाद खजांची जी के द्वारा निकाली जाती थी। उसके उपरान्त उनके दत्तक पुत्र गोपाल लाल ने अपने जीवन काल में मन्दिर को देख-रेख, रथ यात्रा सम्पन्न करने के लिए एक ट्रस्ट बनाया जो कि बाबू मथुरा प्रसाद शीश महल धर्मार्थ के नाम से स्थापित किया। जिसके सचिव अनिल कुमार है।
रथयात्रा के सन्दर्भ में पौराणिक मान्यता है कि जगन्नाथ जी 15 दिन तक अस्वस्थ रहने के बाद इस दिन स्वस्थ हुए थे। इसी बात पर सुभद्रा जी ने नगर देखने की इच्छा व्यक्त की, अपनी बहन को नगर भ्रमण करवाने के उद्देश्य से रथ पर विराजमान होकर निकले। देवर्षि नारद ने श्री कृष्ण से प्रार्थना की, हे सर्वेश्वर आप तीनों इसी रूप में विराजमान हो। पौराणिक मान्यता के आधार पर जो इस रथयात्रा में सम्मलित होकर रथ को खीचता है उसकी समस्त मनोकामना पुण्य होती है।
यात्रा में मुख्य आयोजक अशोक कुमार, अवधेश कुमार, प्रमोद कुमार, अनुराग गुप्ता, शाश्वत अग्रवाल, अभिषेक शर्मा, सर्वेश कुमार, आदित्य, सागर, शाश्वत, जयेश, दिवेश, सत्येश आदि लोग शामिल रहे।
शीश महल मंदिर बाबू मथुरा प्रसाद खजांची का पुस्तैनी मन्दिर है। यह रथ यात्रा सन् 1848 ई0 से बाबू मथुरा प्रसाद खजांची जी के द्वारा निकाली जाती थी। उसके उपरान्त उनके दत्तक पुत्र गोपाल लाल ने अपने जीवन काल में मन्दिर को देख-रेख, रथ यात्रा सम्पन्न करने के लिए एक ट्रस्ट बनाया जो कि बाबू मथुरा प्रसाद शीश महल धर्मार्थ के नाम से स्थापित किया। जिसके सचिव अनिल कुमार है।