कल से श्रावण मास प्रारंभ, 59 दिनों तक शिवालयों पर रहेगी भक्तों की भीड़
गोरखपुर
- मंगलवार 4 जुलाई से शुरू होगा सावन
- इस बार होंगे 8 सोमवार
- 59 दिन बहेगी शिव भक्ति बयार
आचार्य पंडित शरदचन्द्र मिश्र,
गोरखपुर। भगवान शंकर का प्रिय महीना श्रावण 4 जुलाई से शुरू होने वाला हैं। इस साल सावन मास पूरे दो महीने का रहेगा। भगवान भोले बाबा की श्रद्धालु मनुहार करते नजर आएंगे। सावन के महीने को श्रावण के नाम से भी जाना जाता है. यह पावन माह भोले बाबा के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। सावन मास में नदियों पानी भरकर कांवड़ लाई जाती है। सावन शुरू होते है कांवड़ यात्रा भी शुरू हो जाएगी। सावन माह पूरे देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। श्रावण का महीना इस बार जुलाई से शुरू होगा और इस माह का समापन अगस्त में होगा। इस वर्ष श्रावण का माह 4 जुलाई से शुरू होगा और इसका समापन 31 अगस्त को होगा। यानी कि सावन 59 दिनों के रहेंगे। जिसमें सावन के 08 सोमवार पड़ेंगे। इस साल का सावन बेहद खास रहने वाला है। क्योंकि इस बार सावन 59 दिनों के रहेंगे। ये संयोग लगभग 19 वर्ष बाद बनने जा रहा है। हिंदू पंचांग के मुताबिक इस बार अधिकमास की वजह से सावन 2 माह का पड़ रहा है। अधिकमास की शुरुआत 18 जुलाई से होगी और 16 अगस्त इसका समापन होगा। इस बार श्रावण का माह तकरीबन 2 महीने का होगा। यानि हर श्रावण में 4 या 5 सोमवार ही पड़ते थे और शिवभक्त भगवान भोले की पूजा अर्चना करते थे।लेकिन इस बार सावन में 8 सोमवार पड़ेंगे। इसलिए इस बार 2 माह तक शिव भक्ति की बयार बहती रहेगी। इस दौरान शिव जी का अभिषेक, रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, गंगा जल से अभिषेक किया जाएगा। साथ ही भक्त गंगा से कावंड भरकर भी लाएंगे और शिवजी को गंगा जल अर्पित करेंगे।
श्रावण माह के सोमवार की तिथियां
श्रावण का पहला सोमवार: 10 जुलाई
श्रावण का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
श्रावण का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई
श्रावण का चौथा सोमवार: 31 जुलाई
श्रावण का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त
श्रावण का छठा सोमवार:14 अगस्त
श्रावण का सातवां सोमवार: 21 अगस्त
श्रावण का आठवां सोमवार: 28 अगस्त
श्रावण सोमवार के सभी व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैं। इसलिए, सावन में यह कावड़ यात्रा निकाली जाती है। कावड़ में भगवान शिव के सभी भक्त छोटे छोटे बर्तनों में पवित्र नदियों से जल लेकर आते हैं। साथ ही केसरिया रंग के कपड़े भी पहनते है। और अपनी भक्ति और समर्पण के प्रतीक के रूप में भगवान शिव से जुड़े पवित्र स्थानों तक पैदल चलते हैं।