स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सामने ही खानी है फाइलेरिया रोधी दवा
पांच साल तक लगातार साल में एक बार दवा के सेवन से होता है फाइलेरिया से बचाव
लाइलाज है फाइलेरिया, दवा सेवन और मच्छरों से बचाव ही है उपाय
ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षकों को जिला स्तर पर दिया गया प्रशिक्षण
गोरखपुर। फाइलेरिया जिसे हाथीपांव के नाम से भी जानते हैं एक लाइलाज बीमारी है । इसके संक्रमण से लिम्फोडिमा (हाथ, पैर, स्तन में सूजन) और हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) हो जाता है। प्रबंधन के जरिये लिम्फोडिमा को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है। इस बीमारी से बचाव के लिए पांच साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन आवश्यक है। बीमारी से बचाव के लिए दवा के सेवन और इसका संक्रमण फैलाने वाले मच्छरों से बचाव आवश्यक है।
यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने दी। वह 10 अगस्त से 28 अगस्त तक प्रस्तावित फाइलेरिया के सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षकों के जिला स्तरीय प्रशिक्षण को प्रेरणा श्री सभागार में मंगलवार को सम्बोधित कर रहे थे। दो अलग अलग बैच में ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षकों के साथ साथ शहरी क्षेत्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को एमडीए अभियान के अलावा 17 जुलाई से प्रस्तावित दस्तक पखवाड़े के बारे में भी प्रशिक्षित किया गया।
सीएमओ ने कहा कि अभियान से जुड़े प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण दिया जाए । फाइलेरिया विश्व में दिव्यांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है । एमडीए अभियान को मजबूती प्रदान कर सुनिश्चित किया जाए कि जिले में एक भी नया संक्रमण न फैलने पाए । दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को ( गर्भवती और अति गंभीर बीमार लोगों को छोड़ कर) फाइलेरिया से बचाव की दोनों दवाएं खिलानी हैं। एक से दो वर्ष के बीच के बच्चों को सिर्फ पेट के कीड़े मारने की दवा दी जाएगी । अभियान 10 से 28 अगस्त तक सोमवार, मंगलवार, गुरूवार और शुक्रवार को चलेगा । किसी को भी खाली पेट दवा नहीं खिलाई जाएगी । इसी वजह से अभियान का समय सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक रखा गया है । अभियान के लिए बनाई गई प्रत्येक टीम प्रतिदिन 25 घरों का विजिट कर कम से कम 125 लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएगी । दवा सेवन कराने के पश्चात दायें हाथ की अंगुली पर मार्कर से निशान भी लगाया जाएगा। प्रत्येक दिन खिलाई गई दवा का विवरण ई कवच पोर्टल पर फीड करना अनिवार्य है।
इस अवसर पर एसीएमओ आरसीएच डॉ एके चौधरी, वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा, डीएमओ अंगद सिंह, एडीएमओ राजेश चौबे, सीपी मिश्रा, डीडीएचईआईओ सुनीता पटेल, डीपीएम पंकज आनंद, जेई एईएस कंसल्टेंट डॉ सिद्धेश्वरी, पाथ संस्था के प्रतिनिधि डॉ नाहिदा, अभिनय कुशवाहा, यूनीसेफ के डीएमसी डॉ हसन फहीम और पीसीआई संस्था के प्रतिनिधि प्रणव पांडेय प्रमुख तौर पर मौजूद रहे ।
ढूंढे जाएंगे नये रोगी
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि पहली बार 17 से 31 जुलाई तक प्रस्तावित दस्तक पखवाड़े के दौरान नये फाइलेरिया रोगी भी ढूंढे जाएंगे । नये हाथीपांव के मरीजों को एमएमडीपी किट दी जाएगी और रोग प्रबन्धन के तरीके सिखाए जाएंगे, जबकि हाइड्रोसील के मरीजों को सर्जरी की सुविधा दिलवाई जाएगी । एमडीए अभियान के दौरान पर नये रोगियों को ढूंढने पर जोर होगा । जिले में 51.23 लाख की अबादी को दवा खिलाने का लक्ष्य है और इसके लिए 4099 टीम बनाई गई हैं ।
दस्तक के बारे में भी दी गई जानकारी
खोराबार ब्लॉक की स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी श्वेता पांडेय ने बताया कि उन्होंने एक दिवसीय प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया । संचारी रोगों पर नियंत्रण की दृष्टि से यह प्रशिक्षण बेहद उपयोगी रहा । सिखाया गया है कि दस्तक पखवाड़े के दौरान आशा कार्यकर्ता की भूमिका का चेकलिस्ट बना कर उन्हें दिया जाए । लोगों को मच्छरों से बचाव के उपाय बताए जाएं और यह भी बताया जाए कि बुखार होने पर 108 नंबर एम्बुलेंस से ही सरकारी अस्पताल जाएं। पहली बार फाइलेरिया के बारे में पहल की गई है और दस्तक पखवाड़े के दौरान लक्षणों को पूछ कर आशा कार्यकर्ता फाइलेरिया के मरीजों की लिस्ट तैयार करेंगी।