शिव जी की कृपा प्राप्ति का सर्वोत्तम महिना है श्रावण
गोरखपुर
गुरु पंडित राम कैलाश चौबे,
गोरखपुर। भारतीय साहित्य में श्रावण माह का विशेष महत्व है। इस महिने की अपनी संस्कृति है। जेठ के तीब्र ताप और आषाढ़ की उमस से क्लांत प्रकृति को अमृत वर्षा की आवश्यकता होती है। श्रावण के महिने में भगवान शिव की विशेष उपासना की जाती है। पुराणों में इस महिने का जिक्र आया है और कहा गया है कि जो इस महिने में शिव जी आराधना करता है, उसे शिव जी प्रसन्न होकर मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। श्रावण मास, श्रवण नक्षत्र तथा सोमवार से शिव जी का गहरा संबंध है। श्रावण मास के माहात्म्य में सनत्कुमार से भगवान शिव ने स्वयं कहा है कि – मुझे बारह महीनों में सावन ( श्रावण) विशेष प्रिय है। इसी काल वे श्रीहरि के साथ मिलकर लीलाएं रचते हैं।इस महिने की एक यह विशेषता है कि इसका कोई भी दिन व्रत शून्य नहीं रहता है। इस महिने में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, शतरुद्री पाठ और पुरुष सूक्त का पाठ एवं पंचाक्षर, षडाक्षर आदि शिव मंत्रों व नामों का जप विशेष फल देने वाला है। श्रावण मास का माहात्म्य सुनने अर्थात श्रवण योग्य हो जाने के कारण इस मास का नाम श्रावण ही। पूर्णिमा तिथि का श्रवण नक्षत्र के साथ योग होने से इस मास का नाम श्रावण कहा गया और श्रवण ( सुनने), मात्र से सिद्धि देने वाला है। श्रावण मास और श्रवण नक्षत्र के स्वामी शिव, श्रावण मास के अधिष्ठाता त्र्यंबक भगवान शिव ही हैं।
श्रावण का महिना बेहद महत्वपूर्ण है। इस बार श्रावण दो महीने का है। इस वर्ष श्रावण मास में साधकों को भक्ति करने के लिए आठ सोमवार मिलेंगे। इस महिने के प्रत्येक सोमवार को शिव जी की उपासना करने से सुख समृद्धि का आगमन होता है। व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। यह महिना भगवान भोलेनाथ को प्रिय है। श्रावण मास की शुरुआत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा 4 जुलाई से 31 अगस्त तक रहेगा। भक्तों को उपासना 58 दिन का है। यह शुभ संयोग 19 वर्षों के बाद बन रहा है। इसमें 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक श्रावण मास है। अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है इसके स्वामी भगवान पुरुषोत्तम अर्थात विष्णु हैं। इसलिए भगवान शिव की कृपा के साथ भगवान विष्णु की भी कृपा भक्तों के उपर बनी रहेगी। वैदिक पंचांग की गणना सौर मास और चंद्र मास दोनों के अनुसार की जाती है। चंद्र वर्ष लगभग 354 दिन तथा सौर वर्ष 365 दिन के समतुल्य होता है। ऐसे में लगभग 11 दिन का अन्तर आया है और तीन वर्ष से कुछ दिन पहले , यह अंतर लगभग एक महीने के समतुल्य हो जाता है।सौर वर्ष और चंद्र वर्ष को समायोजित करने के लिए अधिक मास की व्यवस्था है। इस बार भोलेनाथ की उपासना के लिए आठ सोमवार प्राप्त होंगे।