शिव-पार्वती विवाह में झूमे भक्त, आरती-पूजन के बाद प्रसाद वितरित
गोरखपुर
- मुख्य यजमान सपत्नीक विनोद शाह रहे
- सप्त दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा में श्रीकांत शास्त्री जी महाराज ने शिव-पार्वती विवाह का बहुत ही सुंदर ढंग से वर्णन किया
गोरखपुर। बेतियाहाता कालोनी स्थित शाह हाता में चल रही सप्त दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा में सोमवार को कोलकाता से आए श्रीकांत शास्त्री जी महाराज ने शिव-पार्वती विवाह का बहुत ही सुंदर ढंग से वर्णन किया, जिसे सुन श्रोता खूब झूमे।
उन्होंने कहा कि समस्त देवताओं ने शिवजी के पास पहुंचकर उन्हें विवाह करने के लिए मनाया। इसके बाद शिवजी की बारात की तैयारियां शुरू हो गईं। गणों द्वारा शिवजी का श्रृंगार किया गया।
इसमें जटाओं का मुकुट बनाकर उन पर सांपों का मोहर सजाया गया। सांपों के ही कंगन पहने, शरीर पर भस्म लगाई और वस्त्र की जगह बाघम्वर लपेट लिया। शिवजी के मस्तक पर चंद्रमा, शीश पर गंगाजी, तीन नेत्र, सांपों का जनेऊ गले में विष और छाती पर नरमुंडों की माला थी। इस प्रकार उनका वेष अशुभ होने पर भी कल्याणकारी था।
शिवजी की बारात में बाराती अनोखे थे। इनमें किसी गण का सिर नहीं था तो किसी गण के बहुत से सिर थे। इसी प्रकार किसी के हाथ पैर नहीं थे तो किसी के कई हाथ और पैर थे। कोई बहुत ज्यादा मोटा था तो काई बहुत पतला।
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शिवजी जी की बारात को देखकर नगरवासी भयभीत हो गए। इस रूप को देखकर पार्वती की माता मैना भी भयभीत हो गईं।
अपनी पुत्री पार्वती का शिवजी से विवाह करने से इंकार कर दिया। अंत में शिवजी ने सुंदर रूप में मैना को दर्शन दिए। उनके इस रूप को देखकर मैना को संतोष हुआ। पार्वती की सखियों ने भी वर की प्रशंसा की।
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इस पर वह राजी हो गईं और कन्यादान किया। इस दौरान भक्त शिव-पार्वती विवाह के दौरान खूब झूमे। अंत में आरती हुई। इनमें मुख्य यजमान सपत्नीक विनोद शाह रहे।
व्यासपीठ की आरती पूजन शाह परिवार के गो सेवक स्वर्गीय परमानंद शाह के ज्येष्ठ पुत्र नवल शाह, पुत्रबधु अमिता शाह और पौत्र दामोदर शाह ने किया। इसके बाद सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया।