महाकाल की सवारी में दिखा आजादी का जश्न
उज्जैन
उज्जैन के राजाधिराज भगवान महाकाल घटाटोप मुखारविंद स्वरूप में रथ पर सवार होकर प्रजा का हाल जानने निकले। सावन महीने की छठी सवारी में सोमवार को बाबा महाकाल के छह स्वरूप शामिल रहे। चांदी की पालकी में भगवान चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मन महेश, गरुड़ पर शिव तांडव, नंदी रथ पर उमा महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट का मुखारविंद स्वरूप सवारी में दिखा।
उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर से सवारी की शुरुआत हुई। इससे पहले मंदिर प्रांगण में पालकी और महाकाल के मुखारविंद भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन किया। मंदिर से बाहर भगवान महाकाल की सवारी को पुलिस की सशस्त्र बल टुकड़ी ने सलामी दी। सवारी में लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। बैंड-बाजे और ढोल-नगाड़ों के साथ भजन मंडलियां और भक्तों की मंडलियां सवारी के साथ-साथ चलीं। सड़क के दोनों ओर बाबा महाकाल के दर्शन के लिए भक्त खड़े रहे। जगह-जगह सवारी का फूल बरसाकर स्वागत किया गया। इस बार सवारी में आजादी का जश्न भी दिखाई दिया। कई भजन मंडली तिरंगे के साथ नजर आईं। सवारी में करीब 5 लाख भक्तों के शामिल होने का अनुमान है।
शिप्रा घाट पर हुआ पूजन अभिषेक
बाबा महाकाल की सवारी तय समय पर शाम करीब पौने 5 बजे शिप्रा तट पर पहुंची। यहां शिप्रा के जल से पालकी में विराजित भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया गया। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु नदी के दोनों ओर घाट पर मौजूद रहे। श्रद्धालु भगवान महाकाल का जयकारा लगाते रहे। भगवान की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु दोपहर 1 बजे से राम घाट सवारी मार्ग पर बैठे रहे। शिप्रा घाट पर पूजन के बाद सवारी गोपाल मंदिर के लिए रवाना हो गई।
महाकाल की सवारी शिप्रा के तट पर पहुंची। जहां भगवान महाकाल का शिप्रा के जल से अभिषेक किया गया। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
गोपाल मंदिर पर हुआ हरि-हर मिलन
राम घाट पर अभिषेक पूजन के बाद भगवान महाकाल की सवारी गोपाल मंदिर पहुंची। यहां हरि-हर का अद्भुत मिलन हुआ। गोपाल मंदिर के पुजारी ने बाबा महाकाल का पूजन आरती की। यहां से पालकी वापस महाकाल मंदिर पहुंची।
इससे पहले सोमवार को सुबह से ही भगवान महाकाल के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े। भस्म आरती के लिए भक्त रात 12 बजे से लाइन में लग गए थे। तड़के 2.30 बजे मंदिर के पट खोले गए। तड़के भस्म आरती में बाबा महाकाल को दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन कर भस्म अर्पित की गई। भगवान महाकाल का भांग, चंदन और आभूषणों से राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार कर आरती की गई। दर्शन का सिलसिला रात 10.45 पर शयन आरती के बाद समाप्त होगा। बाबा महाकाल लगातार 20 घंटे तक भक्तों को दर्शन देंगे।
दावा- 40 मिनट में दर्शन कराए जा रहे
मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि भक्तों की भीड़ को देखते हुए उन्हें 40 मिनट में दर्शन मिल सकें, इसके इंतजाम किए गए हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी महेश पुजारी ने बताया कि अल सुबह भस्म आरती में भगवान महाकाल का पहला पूजन किया गया। गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का जलाभिषेक कर दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से बने पंचामृत से भगवान महाकाल पूजन किया गया। हरि ओम जल चढ़ाकर कपूर आरती के बाद भांग, चंदन, अबीर के साथ महाकाल ने मस्तक पर चंद्र और आभूषण अर्पित कर राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। श्रृंगार पूरा होने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांक कर भस्मी रमाई गई।
मंदिर में मनाया जा रहा सावन उत्सव
सावन महीने की शुरूआत 4 जुलाई से हुई थी। मंदिर के पुजारी महेश गुरु के अनुसार मंदिर में सावन उत्सव मनाया जा रहा है। इस बार अधिक मास का विशेष योग है। मंदिर में परंपरा के मुताबिक सावन की 4 या 5 सवारियां होती हैं। दो सवारी भाद्र पद (भादौ मास) की होती हैं, जिसमें बाबा नगर भ्रमण पर हर सोमवार भक्तों का हाल जानने शाही ठाठ बाट के साथ निकलते हैं। इस बार अधिक मास होने से 8 सवारी सावन व 2 सवारी भादौ मास की यानी 10 सवारी सवारियां रहेंगी।
सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था
भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था भी पुख्ता की गई है। जिला और पुलिस प्रशासन ने अतिरिक्त कर्मचारियों और पुलिस अधिकारियों को तैनात किया है। सुबह जिन श्रद्धालुओं को भस्म आरती में अनुमति नहीं मिली, उन्हें चलित भस्म आरती से दर्शन कराए गए।
निकाली जाएंगी इतनी सवारियां
सातवीं सवारी: 21 अगस्त 2023
आठवीं सवारी: 28 अगस्त 2023
नौवीं सवारी: 4 सितंबर 2023
अंतिम शाही सवारी: 11 सितंबर 2023