स्वरक्षा अभ्यास से गंभीर स्थितियों से बच सकते हैं दिव्यांग कुष्ठ रोगी : डॉ भोला
गोरखपुर
समय से पहचान और इलाज न होने पर दिव्यांगता का शिकार बना देता है कुष्ठ रोग
गोरखपुर। दिव्यांग कुष्ठ रोगियों को प्रतिदिन स्वरक्षा अभ्यास करना चाहिए और अपने घावों के प्रति सतर्क रहना चाहिए। ऐसा करने से गंभीर स्थितियों से बचा जा सकता है । उक्त बातें कुष्ठ रोग निवारण कार्यक्रम के जिला परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता ने कहीं । वह स्वास्थ्य विभाग और एनएलआर इंडिया फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में कुष्ठ से दिव्यांग हुए रोगियों के परामर्श सत्र को चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में सम्बोधित कर रहे थे । गुरूवार को आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि समय से पहचान और इलाज होने जाने से कुष्ठ के कारण होने वाली दिव्यांगता से बच सकते हैं।
जिला परामर्शदाता ने कहा कि जिला कुष्ठ रोग निवारण अधिकारी डॉ गणेश यादव के दिशा निर्देशन में प्रत्येक ब्लॉक में वर्ष में कम से कम चार कैम्प लगा कर दिव्यांग कुष्ठ रोगियों को प्रभावित अंग की देखभाल करने के बारे में बताया जाता है । चरगांवा ब्लॉक में फाउंडेशन के सहयोग से एक वर्ष के भीतर पांच कैम्प लगाए जा चुके हैं। गुरूवार को सम्पन्न कैम्प में 31 दिव्यांग कुष्ठ रोगियों ने हिस्सा लिया । कैम्प के जरिये सेल्फ केयर किट, एमसीआर चप्पलें व स्प्लिंट देने के अलावा व्यायाम के बारे में भी बताया जाता है । कुष्ठ से अंगुलियों की दिव्यांगता के मामलों में दो वर्ष के भीतर सर्जरी कराई जा सकती है। यह सर्जरी 50 वर्ष से कम उम्र तक ही संभव है । सर्जरी की सुविधा तो सरकारी प्रावधानों के तहत उपलब्ध है ही, इसके मरीज को 12000 रुपये श्रम ह्रास के लिए दिये जाते हैं।
कैम्प में आए रामकृपाल (50) ने बताया कि उन्हें 35 वर्ष की उम्र में ही कुष्ठ हो गया था लेकिन वह झोलाछाप से इलाज करवाते रहे। बीआरडी मेडिकल कॉलेज जाने में उन्होंने देरी कर दी, जिसकी वजह से वह दिव्यांग हो गये। उनके बायें पैर में दिव्यांगता है । कैम्प में आने की वजह से उन्हें कई मदद मिली है। साल भर में दो बार उन्हें एमसीआर चप्पल दी जाती है । प्रति माह 3000 रुपये पेंशन के तौर पर भी मिल रहे हैं । प्रभावित अंग की देखभाल का तरीका सिखाया गया है जिससे काफी आराम मिला है।
कार्यक्रम के दौरान फाउंडेशन के राज्य प्रतिनिधि विपिन सिंह और फिजियोथेरेपिस्ट डॉ आसिफ ने दिव्यांग कुष्ठ रोगियों को बताया कि वह दिव्यांगता का यूनिक आईडी कार्ड विभाग के सहयोग से बनवा लें ताकि निर्बाध गति से पेंशन मिलती रहे। कुष्ठ से दिव्यांग हुए लोगों को सरकारी प्रावधानों के तहत दिव्यांगों के लिए उपलब्ध सभी सुविधाएं दी जाती हैं ।
लक्षण दिखते ही करें सम्पर्क
चरगांवा ब्लॉक के नान मेडिकल असिस्टेंट विनय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अगर शरीर पर कोई सुन्न दाग धब्बा है जो चमड़े से हल्के रंग का है तो यह कुष्ठ हो सकता है । इसकी जांच हो जाने पर सम्पूर्ण इलाज उपलब्ध है । दवाएं भी ब्लॉक स्तर से मिल जाती हैं । प्रारंभिक लक्षण दिखने के बाद भी लापरवारी बरतने पर कुष्ठ दिव्यांग बना सकता है । दिव्यांग कुष्ठ रोगी सामान्य पानी में अपने प्रभावित अंग को भिगो कर तेल लगाते हैं तो घाव बनने की आशंका कम हो जाती है । इस स्वरक्षा अभ्यास को प्रतिदिन करना चाहिए।