प्रकृति की खूबसूरती को कैमरे की नजर से देखना बेहद रोचक : डाॅ. मंगलेश श्रीवास्तव

गोरखपुर

ख्यातिप्राप्त फोटोग्राफरों को प्रशस्तिपत्र देकर किया गया सम्मानित

प्रकृति के सौंदर्य को दिखा गई “द शैडो ऑफ नेचर”

गोरखपुर। अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफी दिवस पर राजकीय बौद्ध संग्रहालय और दीप्तिमान संस्कृति फाउंडेशन फ़ॉर आर्ट कल्चर एन्ड हेरिटेज के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय छायाचित्र प्रदर्शनी ‘द शैडो ऑफ नेचर’ का समापन हुआ। जिसके मुख्य अतिथि गोरखपुर के महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव और विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद राज्य ललित कला अकादमी के सदस्य डॉ. भारत भूषण रहे। अध्यक्षता राजकीय बौद्ध संग्रहालय के उप निदेशक डॉ. यशवंत सिंह राठौर ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इसके बाद अतिथियों द्वारा संग्रहालय हॉल में प्रदर्शित चित्रों का अवलोकन किया गया।

फोटोग्राफी के कौशल पर आधारित कार्यशाला का आयोजन कार्यक्रम के दूसरे दिन रविवार को किया गया। जिसमें फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट व छायाकार एडवोकेट आर.के. जायसवाल तथा आर्किटेक्ट एवं वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर अनुपम अग्रवाल ने फोटोग्राफी की बारीकियों पर प्रकाश डाला और इससे सम्बंधित व्यावहारिक कौशल का प्रयोगात्मक प्रशिक्षण प्रदान किया।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में गोरखपुर के महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव ने छायाचित्र प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रकृति की खूबसूरती को कैमरे की नजर से देखना बेहद रोचक है और प्रकृति के रोज़ बदलते स्वरूप में छुपे अनन्त नज़ारों में से कुछ को कैमरे में कैद करना बेहद सुकून देने वाला है।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद राज्य ललित कला अकादमी के सदस्य डॉ. भारत भूषण ने कहा कि उम्दा फोटोग्राफी मेहनत और सावधानी का काम है। तस्वीरों को केवल कैमरे से खींच लेना तो आम बात है पर उन्हें अदाकारी और नज़ाकत के साथ कैमरे में कैद करने से उसकी आभा कई गुना बढ़ जाती है। यही वजह है कि फोटोग्राफी चुनिंदा लोगों की ही सही पर एक उम्दा शौकिया कला है।

समापन सत्र में सीआरडीपीजी की प्रबंधिका डॉ. विजय लक्ष्मी मिश्रा ने भी अपने विचार रखे और आयोजन की प्रशंसा की।

कार्यक्रम के आयोजक एवं दीप्तिमान संस्कृति फाउंडेशन के मुख्य ट्रस्टी डॉ. संदीप कुमार श्रीवास्तव ने इस अवसर पर बताया कि आने वाले समय में फाउंडेशन के द्वारा डिजिटल आर्ट गैलरी, फोटोग्राफी कार्यशाला और कॉपीराइट मुक्त तस्वीरों को लोगों की सेवा के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा जिससे फोटोग्राफी के क्षेत्र में प्रतिभाओं को उपयुक्त मंच मिल सके।

समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे राजकीय बौद्ध संग्रहालय के उप निदेशक डॉ. यशवंत सिंह राठौर ने आने वाले समय में पूर्वांचल की लोक संस्कृति को फोटोग्राफी के द्वारा संरक्षित और प्रचारित प्रसारित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए ऐसे आयोजन आगे भी करने की उम्मीद जताई।

इस अवसर पर शहर के सक्रिय और ख्यातिप्राप्त फोटोग्राफरों को प्रशस्तिपत्र देकर फोटोग्राफी के क्षेत्र में उनके योगदान हेतु सम्मानित भी किया गया। इसके अलावा अमन कुमार, देवानंद गुप्ता, चंदन सिंह, राम उजागिर, नित्या कुमार, अजय कुमार, सुगम सिंह, विष्णु देव शर्मा, धीरज सिंह, रेनू पाठक, ज्योति श्रीवास्तव, तृप्ति श्रीवास्तव, पूजा सिंह और स्निग्धा सिंह को भी सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन मृत्युंजय उपाध्याय नवल ने किया जबकि संयोजन फाउंडेशन की ट्रस्टी ऋतु, गौरव व शैवाल शंकर ने किया।

कार्यक्रम में डॉ.आशीष श्रीवास्तव , रामकृष्ण मिश्रा, अनुपम सहाय,राजेश श्रीवास्तव , अमर श्रीवास्तव, डॉ राजेश गुप्ता , विजय श्रीवास्तव, डॉ. रेखा रानी शर्मा, डा देवज्य श्रीवास्तव, अनुपम सहाय , अजीत प्रताप सिंह, श्रीमती इंदू सिंह बड़ी संख्या में कलाप्रेमी उपस्थित रहे।

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