गीता वाटिका में राधारानी के प्राकट्य महोत्सव का शुभारम

गोरखपुर

महोत्सव में श्रीराधारानी की अष्टसखियों में प्रधान सखी श्रीललिताजी का प्राकट्योत्सव आयोजित हुआ

गीता वाटिका के श्रीराधाकृष्ण साधना मंदिर में पारंपरिक महापर्व राधाष्टमी का शुभारंभ

पांच दिवसीय तक आयोजित होने वाले यह कार्यक्रम 25 सितंबर तक चलेगा 

कल श्रीचैतन्य महाप्रभु-लीला-दर्शन, पद- रत्नाकर के अखंड पारायण और सायंकाल रासलीला-दर्शन के कार्यक्रम होंगे

गोरखपुर। गीता वाटिका के श्रीराधाकृष्ण साधना मंदिर में पांच दिवसीय कार्यक्रम 25 सितंबर तक चलने वाले राधारानी का 85 वां प्राकट्य महोत्सव का शुभारंभ गुरुवार को हुआ। पहले दिन श्रीराधारानी की अष्टसखियों में प्रधान सखी श्रीललिताजी का प्राकट्योत्सव मनाया गया। जिसमें सुबह संकीर्तन एवं पद गायन से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। बधाई के अनेक पदों का गायन किया गया।

 

वैदिक मंत्रोच्चारपूर्वक षोडशोपचार पूजन के साथ विशेष भोग अर्पित कर आरती उतारी गई और प्रसाद वितरण हुआ। सुबह नौ बजे से भाईजी पावन कक्ष में भाईजी द्वारा रचित पदों के संग्रह ग्रंथ ‘पद रत्नाकर’ के अखंड पारायण का शुभारंभ हुआ व दोपहर बाद तीन से छह बजे तक संकीर्तन एवं टेप द्वारा भाईजी की वाणी श्रवण का कार्यक्रम चला। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर अपनी आस्था व श्रद्धा निवेदित की।

 

शुक्रवार भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को सुबह पांच बजे से श्रीचैतन्य महाप्रभु-लीला-दर्शन, पद- रत्नाकर के अखंड पारायण और सायंकाल रासलीला-दर्शन के कार्यक्रम होंगे।

लीला-मुंदरी चोरी का मंचन

गीता वाटिका प्रांगण में देर शाम मंच से लीला मुंदरी चोरी का मंचन हुआ। इसमें दिखाया गया कि राधाजी को कन्हैया नृत्य हृदय से विचार करते हैं। सखियों ने कहा कि कन्हैया तो माखनचोर हैं। कहीं, वह आपकी कोई वस्तु ना चुरा लें। फिर भी राधा नहीं मानती हैं और नृत्य सीखने कान्हा के पास चली जाती हैं। नृत्य सिखाते-सिखाते कान्हा राधा के हाथों की मुंदरी चुरा लेते हैं। लौट कर आने पर सखियों ने राधारानी का श्रृंगार देखा, तो मुंदरी गायब थी। उसके बाद वह कान्हा की तलाशी लेने पहुंचीं। तलाशी के क्रम में कान्हा के कमर से मुंदरी निकल जाती है। उसके बाद वह चली जाती हैं। संकोचवश श्रीकृष्ण अपने घर नहीं जाते और जंगल में ही सो जाते हैं।

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