श्रीराधारानी का प्राकट्य होते ही घंट-घड़ियाल की तुमुल ध्वनि गूंजने लगी
गोरखपुर
महारस पूरन प्रगट्यौ आनि। अति फूलीं घर-घर ब्रजनारी श्रीराधा प्रगटी जानि… आज बरसाने बजति बधाई… “आदि अनेक पदों का गायन से प्रांगण गूंज रहे थे
गोरखपुर। श्रीराधारानी का प्राकट्य महोत्सव भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तदनुसार शनिवार को धूमधाम से मनाया गया।
सार्वभौम गृहस्थ संत नित्यलीलालीन भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार एवं उनके नित्यसहचर महाभावनिमग्न श्रीराधा बाबा की तपस्यास्थली गीता वाटिका के प्रांगण में श्रीराधारानी का प्राकट्य होते ही घंट-घड़ियाल की तुमुल ध्वनि गूंजने लगी। “महारस पूरन प्रगट्यौ आनि। अति फूलीं घर-घर ब्रजनारी श्रीराधा प्रगटी जानि… आज बरसाने बजति बधाई… “आदि अनेक पदों का गायन से वाटिका प्रांगण गूंज रहे थे। माहौल पूरी तरह बरसाने जैसा था। हर तरफ ठोल मंजीरे धुन पर भक्त झूम रहे थे। माहौल पूरी तरह भक्ति से परिपूर्ण था। महोत्सव का शुभारम्भ प्रातः 04:00 बजे शहनाई वादन से हुआ। प्रातः 06:30 बजे श्रीराधाकृष्ण साधना मंदिर से संकीर्तनमय प्रभातफेरी प्रारम्भ हुई। मंदिर के छोटे ठाकुरजी (सचल विग्रह ) को रथ पर विराजित किया गया। चैतन्य महाप्रभु और नित्यानन्द प्रभु नृत्य करते हुए संकीर्तन कर रहे थे। “जय राधा जय सब सुख साधा जय जय कमलनयन बस करनी… राधिकारमण अंबुजनयन नंदनंदन नाथ हे, गोपिकाप्राण मन्मथमथन विश्वरंजन कृष्ण हे… “आदि गाते हुए मंदिर से चलकर भक्तजन पावन कक्ष प्रांगण, पावन समाधि, नेह निकुंज होते हुए श्रीराधाष्टमी पंडाल पहुंचे जहां प्रभातफेरी सम्पन्न हुई।
पंडाल में कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रातः 10:00 बजे मधुरनाम संकीर्तन से हुआ। फिर पद गायन के बाद घंटे-घड़ियाल की तुमुल ध्वनि क़े साथ प्राकट्य की आरती मध्याह्न 11:48 बजे हुई। आरती के पश्चात् श्रीराधारानी का स्तवन किया गया और पुनः पद गायन प्रारम्भ हुआ- “महारस पूरन प्रगट्यौ आनि। अति फूलीं घर-घर ब्रजनारी श्रीराधा प्रगटी जानि… आज बरसाने बजति बधाई… “आदि अनेक पदों का गायन हुआ। इसी क्रम में टेप द्वारा श्रीभाईजी की अमृत वाणी का श्रवण कराया गया। राधे-राधे का उद्दाम संकीर्तन के तत्पश्चात् आरती के साथ पंडाल का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
सायं काल पूरे समाधि स्थल को दीपों से सजाकर दीपोत्सव मनाया गया। सायंकाल पावन कक्ष में पद गायन हुआ।
रात्रि 09:00 बजे से स्वामी श्रीरामजी शर्मा श्रीकुंजबिहारी शर्मा की रासमण्डली द्वारा प्रिया-प्रियतम के नित्य रासविहार, मयूर-नृत्य व डांडिया-नृत्य के बाद चित्रा लीला का मंचन किया गया।
रात्रि 12 बजे से संकीर्तन-पद गायन के साथ रात्रि-जागरण का कार्यक्रम शुरू होगा।
दधिकर्दमोत्सव 24 सितम्बर रविवार को दिन में 10:30 बजे से प्रारम्भ होगा।
श्रीभाईजी का भावार्चन 25 सितम्बर को सम्पन्न होगा।
इस अवसर पर अनुराग डालमिया, उमेश कुमार सिंहानिया, रसेन्दु फोगला, हरिकृष्ण दुजारी, श्रीमती अरुणा डालमिया, श्रीमती कविता डालमिया, गौतम डालमिया, राजकुमार थरड, रमेश कुमार थरड, सौभाग्यनिधि सेकसरिया, प्रमोद मातनहेलिया, डॉ.चन्द्रेश, मनमोहन जाजोदिया, श्रीमती अंजलि पराशर, प्रमोद कुमार बाजपेयी, दीपक गुप्ता आदि लोग उपस्थित रहे।