अव्यय, अविनाशी व नित्य है परमात्माः आचार्य कृष्ण

गोरखपुर

गोरखपुर। गोरखनाथ मंदिर में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 54वीं और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की नौवीं पुण्यतिथि समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में अंतिम दिन सोमवार शाम विश्राम के अवसर पर कथाव्यास कृष्णचंद्र शास्त्री ने कहा कि परमात्मा का किसी भी दशा में परिवर्तन नहीं होता है। वह अव्यय है, अविनाशी है, नित्य है। वह सभी परिस्थितियों में सच्चिदानन्द स्वरूप रहते है। कथा व्यास ने कहा कि जिसके अन्दर ज्ञान होता है उसके अन्दर अभिमान हो ही नहीं सकता। अगर हृदय में अभिमान है तो ज्ञान हो ही नहीं सकता, क्योंकि ज्ञान परमब्रह्म परमात्मा है और अभिमान प्रकृति जन्य है। वे ही परब्रह्म परमात्मा नारायण है।

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