कायस्थ विकास समिति ने वैदिक मंत्रोचार के बीच की भगवान चित्रगुप्त की पूजा-अर्चना
गोरखपुर
रुस्तमपुर में धार्मिक अनुष्ठान जयघोष से हुई श्री चित्रगुप्त पूजन
*कर्मों का लेखा जोखा रखने वाले लेखनी के अधिष्ठाता श्री चित्रगुप्त की महिमा है लोक कल्यार्थ : डा मंगलेश श्रीवास्तव*
गोरखपुर। जगतपिता ब्रह्मा जी के अंश, ज्ञान के अधिष्ठाता देवता, मानव जाति के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले लेखनी के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त जी के पूजानोत्सव पर श्री चित्रगुप्त मंदिर रुस्तमपुर में कायस्थ विकास समिति रुस्तमपुर के सदस्यो ने वैदिक अनुष्ठान जयघोष कर पूजन किया। पूजन में मुख्य यजमान के रूप में उपस्थित महापौर डा. मंगलेश कुमार श्रीवास्तव जी ने आरती कर सभी के मंगलमय यश्वी जीवन की मंगल कामना किया । डा. मंगलेश जी ने कहा की श्री चित्रगुप्त पूजन पर समाज के सर्वांगीण विकास में अग्रणी कायस्थ परिवार की अहम भूमिका है । पूजन के साथ एक सामूहिक एकजुटता का पवित्र उद्देश्य पूजन अनुष्ठान में दिखता है । भगवान श्री चित्रगुप्त जी के श्रृंगार के साथ वैदिक अनुष्ठान जयघोष से सभी कायस्थों ने लेखनी कलम दवात की पूजा कर राष्ट्र और समाज के कल्याणार्थ सेवा का संकल्प लिया। मेयर डा मंगलेश श्रीवास्तव जी का स्वागत समिति के अध्यक्ष सुनील श्रीवास्तव और मंत्री एडो.रविंद्र कुमार श्रीवास्तव ने किया साथ ही मंदिर के संरक्षक सुनील चन्द श्रीवास्तव और संकटा लाल श्रीवास्तव ने अंग वस्त्र और श्रीफल देकर सम्मानित किया। कायस्थ विकास समिति के द्वारा मंदिर निर्माण में संकल्पित संकटा प्रसाद श्रीवास्तव, सुनील कुमार श्रीवास्तव, सुनील चन्द श्रीवास्तव, वी.के.श्रीवास्तव, समय नाथ श्रीवास्तव और सभासद धर्मेन्द्र सिंह को अंग वस्त्र, श्रीफल देकर सम्मानित किया गया।
संचालन संगठन मंत्री डॉ.संदीप कुमार श्रीवास्तव और बृजनंदन श्रीवास्तव ने किया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से दया शंकर लाल श्रीवास्तव, अनिरुद्ध लाल श्रीवास्तव, अजय कुमार श्रीवास्तव, अनिल कुमार श्रीवास्तव, डॉ संदीप कुमार श्रीवास्तव, आशीष कुमार श्रीवास्तव, सूरज प्रसाद श्रीवास्तव, धीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, अंकित श्रीवास्तव , सुनील श्रीवास्तव, समय नाथ श्रीवास्तव, बृजेश कुमार श्रीवास्तव, राजीव कुमार श्रीवास्तव, अभिषेक श्रीवास्तव , सचिदानंद श्रीवास्तव , मनोज श्रीवास्तव , बद्री विशाल श्रीवास्तव , शौर्य श्रीवास्तव, यशराज, आश्वत, अक्षत , गौरव जी उपस्थित रहे।