गर्भवती, प्रसूता और नवजात के लिए करें 102 नंबर एम्बुलेंस का इस्तेमाल : सीएमओ

गोरखपुर

जिले को 102 नंबर की छह नयी एम्बुलेंस मिलीं, सीएमओ ने दिखाई हरी झंडी

गोरखपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने गर्भवती, प्रसूता, नवजात और दो साल तक के बच्चों द्वारा स्वास्थ्य इकाई तक आने और वहां से वापस जाने के लिए 102 नंबर एम्बुलेंस सेवा का इस्तेमाल करने की अपील की है । उन्होंने जिला अस्पताल परिसर से 102 नंबर की छह नयी एम्बुलेंस को हरी झंडी दिखा कर शुक्रवार को रवाना किया । यह एम्बुलेंस छह पुरानी एम्बुलेंस के स्थान पर आई हैं। जिले में इस सेवा की कुल 50 एम्बुलेंस क्रियाशील हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि 102 नंबर एम्बुलेंस सभी सरकारी अस्पतालों पर खड़ी रहती हैं । इन पर किसी भी मोबाइल नंबर या लैंडलाइन के जरिये कॉल करके सरकारी प्रावधानों के अनुसार 24 घंटे सेवा ले सकते हैं। इस समय औसतन एक दर्जन लाभार्थी प्रतिदिन इस सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं । गर्भवती जब कभी भी प्रसव पूर्व जांच के लिए सरकारी अस्पताल आती हैं तो वह इस सेवा का उपयोग कर सकती हैं । उन्हें यह एम्बुलेंस न केवल घर से अस्पताल तक लाएगी बल्कि घर पर भी वापस छोड़ेगी । सरकारी अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों को घर ले जाने के लिए भी इस एम्बुलेंस का इस्तेमाल किया जाता है । दो साल तक के बच्चे को अगर स्वास्थ्य संबंधी कोई दिक्कत हो तो सरकारी अस्पताल तक लाने और घर ले जाने के लिए इस सेवा का इस्तेमाल कर सकते हैं । नसबंदी सेवा अपना चुकी महिला को घर छोड़ने के लिए भी यह एम्बुलेंस उपयोग में आती है।

डॉ दूबे ने बताया कि 102 नंबर एम्बुलेंस सेवा एक बेसिक लाइफ सपोर्ट सेवा है और इसमें प्राथमिक देखभाल की सभी सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं। इसके पायलट और इमर्जेंसी मेडिकल टेक्निशियन (ईएमटी) प्रशिक्षित होते हैं और विशेष परिस्थिति में एम्बुलेंस में भी सुरक्षित प्रसव करवा सकते हैं । गर्भवती और दो साल तक के बीमार बच्चों को एक सरकारी अस्पताल से दूसरे उच्च सरकारी अस्पताल तक ले जाने में भी इस एम्बुलेंस का इस्तेमाल किया जाता है । एम्बुलेंस सेवा के नोडल अधिकारी डॉ एके चौधरी की देखरेख में जिला महिला अस्पताल में एम्बुलेंस हेल्प डेस्क भी कार्य करता है । वहां सेवाएं लेने वाली लाभार्थी हेल्प डेस्क की मदद से घर जाने के लिए भी सम्पर्क कर सकती हैं।

इस अवसर पर नोडल अधिकारी डॉ एके चौधरी  डीटीओ डॉ  गणेश यादव, ऑपरेशन हेड अर्जित पांडे, रीजनल मैनेजर पीयूष कुमार सिंह, प्रोग्राम मैनेजर अनुराग श्रीवास्तव और जिला प्रभारी सोनू शर्मा भी प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।

निजी अस्पताल ले जाने पर प्रतिबंध

एम्बुलेंस सेवा का संचालन कर रही संस्था जीवीके ईएमआरआई के प्रोग्राम मैनेजर अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि 102 नंबर एम्बुलेंस लाभार्थी को सिर्फ निकटतम सरकारी अस्पताल ले जाती है। वहां से रेफर किये जाने पर उच्च चिकित्सा केंद्र ले जाती है। यह एम्बुलेंस किसी भी दशा में निजी अस्पताल तक मरीज को ले जाने के लिए अधिकृत नहीं है। हौसला साझेदारी के तहत सम्बद्ध निजी अस्पताल सूर्या क्लिनिक के लाभार्थियों को भी एम्बुलेंस की सेवा सरकारी प्रावधानों के अनुसार मिलती है।

जरूरतमंदों के लिए वरदान है

चरगांवा ब्लॉक के जंगल धूषण गांव की आशा कार्यकर्ता चंदा चौहान का कहना है कि जरूरतमंद लोगों के घर की महिलाएं और बच्चे इस एम्बुलेंस का अधिक इस्तेमाल करते हैं । एम्बुलेंस की 102 नंबर सेवा को कॉल करने पर यह समय से मिल जाती है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर वही वर्ग करना चाहता है जिसके पास पैसे की दिक्कत है, हांलाकि सभी लोगों को सेवा का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

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