अतिक्रमण के नाम पर गोलघर के व्यापारियों पर उत्पीड़न अनुचित : अभिषेक शाही

गोरखपुर

गोरखपुर। प्रशासन द्वारा गोलघर के व्यापारियों का उत्पीड़न न्याय संगत नहीं है। यह बातें गोलघर व्यापर मंडल की अकाश्मिक बैठक में की गई। गोलघर व्यापर मंडल की तरफ् से एक अकाश्मिक बैठक रविवार को अभिषेक शाही की अध्यक्षता मे की गई। जिसमे प्रशासन, नगर निगम और पुलिस द्वारा गोलघर मार्केट मे सड़क एवम फूटपाथ पर स्थित कथित अतिक्रमण को हटाने के नाम पर अपनाई गई मनमानी कार्यशैली की निंदा की गई। इसके विरोध मे मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, नगर आयुक्त, पुलिस अपर महानिदेशक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और महापौर को प्रेषित पत्र पर चर्चा की गई। सार्वजनिक सड़क और फुटपाथ की सरकारी जमीन पर यदि कोई अतिक्रमण विधिसम्मत परिभाषा के अनुसार है तो उसके विरुद्ध कार्यवाही उचित है परन्तु सार्वजनिक सड़क और फुटपाथ की सरकारी भुमि पर कथित अतिक्रमण हटाने के नाम पर निजी भूमि मे बने मकान, दुकान, बरामदे मे हस्तक्षेप करना या तोड़ने के लिए धमकाना या तोड़ना सर्वथा अनुचित एवम विधि के खिलाफ है।
ज्ञातव्य हो कि गोलघर मार्केट मे सरकारी सड़क के पूरब पटरी पर कचेहरी चौराहा से लगायत यातायात तिराहे तक स्थित समस्त भुमि नजूल भूमि है जो अंग्रेजो के शासनकाल और पूरवर्ती सरकारों द्धारा विभिन्न लोगों को पट्टे पर दी गई थी। जिस पर पट्टेदारों द्धारा अपना मकान, दुकान, बरामदा का निर्माण करा लिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश नजूल भूखण्ड फ्री होल्ड नीति के तहत उक्त पट्टे पर दी गई नजूल भुमि का आंकलित मूल्य लेकर पट्टेदारो के हक में फ्री होल्ड कर दिया गया और तत्संबंध मे जिलाधिकारी गोरखपुर द्वारा बैनामा पंजीकृत करा दिया गया। उक्त पंजीकृत बैनामा के आधार पर तहसील मे राजस्व अभिलेखों मे क्रेताओ का नाम बतौर स्वामी दर्ज हो गया। इससे स्पष्ट है कि सरकारी भुमि को सरकार द्वारा कीमत लेकर बेच देने के बावजूद सरकारी अमला द्वारा व्यापारियों एवम भूस्वामियों का उत्पीडन एवम पुलिस द्वारा शनिवार को सायंकाल निर्माण तोड़ने की बात कहकर धमकाना अनुचित एवम विधि विरुद्ध है।
गोलघर व्यापार मंडल मांग करता है कि चूंकि यह मुद्दा संवेदनशील और जीवन् यापन से जुड़ा है इसलिए भुमि , भवन , दुकान , बरामदे के स्वामित्व या अतिक्रमण का निर्धारण हेतु नजूल, तहसील, नगर निगम, रजिस्ट्रार कार्यालय में उपलब्ध मानचित्र, खतौनी, दस्तावेज, अभिलेख, और बैनामा के आधार पर पैमाईश कराकर सम्यक रुप से विधिसम्मत परीक्षण और कोई भी निर्णय एवम कार्यवाही से पूर्व संबंधित पक्षकारों का पक्ष सुनकर ही करना उचित होगा। यदि प्रशासन अवसर प्रदान करे तो संबंधित पक्षकार अपना पक्ष प्रस्तुत कर सकेंगेंl
यदि सरकार को उसके द्वारा बेची गई भुमि या उसके अंश की आवश्यकता है तो जबरदस्ती कब्जा करने के बजाय लोकतांत्रिक एवम विधिसम्मत तरीके से भुमि स्वामियों से बातचीत किया जाना, उनकी सहमति प्राप्त किया जाना, उनकी स्वीकार्य क्षतिपूर्ति तय किया जाना यथा उनको वैकल्पिक स्थान आबंटित किया जाना न्याय संगत है।
गोलघर व्यापार मंडल सच्चाई और न्यायहित मे समाधान निकालने हेतु प्रशासन का सहयोग करने के लिए तैयार है ताकि किसी के साथ अन्याय न होवे और मुख्यमंत्री का शहर होने के नाते शासन की क्षवि धूमिल न हो सके।
बैठक में अभिषेक शाही, संजय जालान, राजेश चंद कौशिक, गौरी शंकर सरावगी, रवि शंकर श्रीवास्तव, दीपक श्रीवास्तव , कार्तिकेय तिवारी, ज्ञानेन्द्र सिंह, गणेश तिवारी, मनीष विश्वकर्मा, नरेश कुमार, गौरव कुमार, नारायण अग्रवाल, मंजीत सिंह गांधी, अवनीश शर्मा आदि उपस्थित रहेl

Related Articles