जनमानस के आधार को सींचती है श्रीमद्भागवत कथा : पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजकथा
गोरखपुर
भक्ति, भक्त, भगवान, गुरु ये चारों मिल जाए वही भागवत है
गीता वाटिका में कथा कहना और सुनना मानो ठाकुर जी के कृपा की बारिश हो गई
गोकुल धाम में गौ की सेवा और गोरक्ष नगरी गो माता का संरक्षण, इन दोनों स्थानों का सनातन संस्कृति से है पुराना नाता
गोरखपुर। गीता वाटिका परिसर में सत्संग समिति द्वारा आयोजित सप्तदिवसीय “श्रीमद भागवत कथा” का सुभारंभ कलश यात्रा से हुआ।
गीता वाटिका परिसर के वातनकुलित सभागार में रविवार को व्यासपीठ पर विराजमान वृंदावन से पधारे पूज्य श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज श्रीमदभागवत कथा वाचन कर रहे थे। सर्वप्रथम गीता वाटिका को मंगलमय स्थान का वर्णन करते हुए पूज्य श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि वाटिका के निमंत्रण पर मैं सर के बल चलकर आने को तैयार हूं ऐसा भाव गीता वाटिका के प्रति प्रकट किया।
भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार और राधा बाबा का वर्णन करते हुए पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि गीता वाटिका में कथा कहना और सुनना मानो ठाकुर जी ने अपने पिटारी ही खोल दी हो। यानि कृपा की बारिश कर दी हो।
पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज ने गोकुल और गोरक्ष का व्याखान करते हुए कहा कि गोकुल धाम में गौ की सेवा और गोरक्ष नगरी गो माता का संरक्षण करता है। इस लिए इन दोनों स्थानों का सनातन संस्कृति से पुराना नाता रहा है।
कथा व्यास ने कहा कि सत्संग समिति का हर वर्ष कथा करने का संकल्प बहुत बड़ी भगवत कृपा से ही संभव है। कथा ही जनमानस के आधार को सींचती है।
उन्होंने कहा कि गीता अभ्यास से, वेद अध्ययन से, रामायण से प्रेरणा और श्रीमद्भागवत कथा श्रवण मात्र से ही प्राप्त हो जाती है। ये हम सबका परम सौभाग्य है कि हम सब श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कर रहे है।
उन्होंने कहा कि भागवत का अर्थ एक लाइन में श्री राधा रानी का सार है- भक्ति, भक्त, भगवान, गुरु चारों एक साथ मिल जाए वही भागवत है। इन्हीं चारों की व्याख्या ही भागवत जी है।
इसी क्रम में महाराज जी द्वारा छीन ले हंस के सब को यह मन सखी री मेरो राधा रमन…, भजन पर भक्त झूम उठे।
श्रीमदभागवत कथा के प्रथम दिवस रविवार को कथा का शुभारंभ कलश यात्रा से हुआ। यात्रा भाई जी की समाधि स्थल से निकल कर वाटिका परिसर की भ्रमण करते हुए कथा स्थल पहुंच कर संपन्न हुई। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त शामिल होकर अपनी आस्था व श्रद्धा अर्पित की। यात्रा अपराहन 03 बजे से निकली गई। जिसमें महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आज के मुख्य यजमान द्वारिका गोयल, सचिव संजय रामरायका, कोषाध्यक्ष संतोष अग्रवाल, विष्णु गोयंका ने वृन्दावन से पधारे कथा वाचक पूज्य श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज को आसन ग्रहण कराया।
कथा के उपरान्त सायंकाल 7.30 बजे कोलकाता से पधारे संदीप ढंढारिया एवं सुकन्या भट्टाचार्या के स्वर में “पूज्य भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार” द्वारा रचित पद रत्नाकर के पदों की बहुत ही मधुर प्रस्तुति की गई।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से विष्णु गोयनका, सुबोध टेकरीवाल, देवकी नंदन अग्रवाल, दिनेश कुमार सिंघानिया, सन्त कुमार भीमसरिया, जगदीश आनन्द , माधव जालान, दिनेश अग्रवाल, द्वारिका गोयल, नीरज मातनहेलिया, मक्खन गोयल, उमा अग्रवाल, मनमोहन जाजोदिया, विनीत अग्रवाल, कनक हरि अग्रवाल, अभय सिंह, हरि जालान, उमेश सिंघानिया, रसेंदु फोगला सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।