संसार का स्वरूप, स्वयं और परमात्मा को बताने वाली है श्रीमद् भागवत कथा

गोरखपुर

 

गोरखपुर। सत्संग समिति द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय “श्रीमद भागवत कथा” के द्वितीय दिवस सोमवार को गीता वाटिका के वाताकुलिन सभागार में कथा व्यास पूज्य श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज ने भाई जी, राधा बाबा और रमदेई मैया की पुष्पांजलि के उपरांत श्री चैतन्य महाप्रभु के बाल लीला से किया।


कथा व्यास पूज्य श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज ने चैतन्य महाप्रभु की चर्चा करते हुए कहा कि महाप्रभु जब छोटे थे तब उनकी माता जी ने उनके सामने तरह-तरह की सामग्री रखी, यह देखने के लिए की महाप्रभु का प्रिय विषय क्या है?

परंतु महाप्रभु ने सभी वस्तुओं को छोड़कर की श्री भागवत जी को हाथ में लेकर पन्ना पलटने लगे, इससे प्रतीत होता है कि महाप्रभु का अत्यधिक प्रिय श्री भागवत जी की कथा ही है।

कथा व्यास ने कहा कि राधा रमन सदा हमको प्यारे रहें। हम उन्हीं के रहें वे हमारे रहे।
भागवत में कोई भी अंश प्रक्षिप्त नही है। और इसका श्रेय पूज्य भाई जी को जाता है। जिन्होंने भागवत के इस विशुद्ध रूप को हम सनातनियों के समक्ष रखा और इसी कारण हम सभी सनातन धर्मावलंबी, भाई जी के सदैव ऋणी रहेंगे। भागवत की चार पद्धति बताई गई है। घटनात्मक, उपदेशात्मक, स्तुत्यात्मक, गीतात्मक। जानने योग्य तीन चीजें हैं संसार का स्वरूप, स्वयं को जानना, और परमात्मा को जानना। इन तीनों को बताने वाली है भागवत कथा।

महाराज जी ने कहा कि श्री भागवत जी में आज तक कोई मिलावट नहीं है। 18 पुराणों में भागवत जी का उल्लेख है
श्रीमद् भागवत जी का आश्रय लेने वाले का कल्याण न
होना संभव नही है। तत्पश्चात ध्रुव का चरित्र का वर्णन किया, कथा व्यास ने ध्रुव के चरित्र के बारे में बताते हुए कहा कि भगवान को प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती है ध्रुव ने अपने मन में दृढ़ संकल्प कर लिया था कि मुझे भगवान को प्राप्त करना है और उसी संकल्प को ध्यान में रखते हुए वनवास में तपस्या करते हुए भगवान को प्राप्त किया।

एक प्रसंग में उन्होंने बताया कि नारद जी ने ध्रुव को द्वादशाक्षर मन्त्र दिया- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और कहा बेटा! वृन्दावन में जाकर इस मन्त्र का जप करना और मन, वाणी और कर्म से ठाकुर जी की सेवा करना और ध्रुव जी मधुवन में आकर साधना करने लगे।

इसी बीच अपने पूर्वाचार्य गोपाल भट्ट जी द्वारा प्रकट किए गए राधारमण लाल की स्तुति करते हुए “जय प्राणधन राधा रमण…”का भाव -पूर्ण गान किया। महाआरती के बाद प्रसाद का वितरण किया गया।

प्रसाद वितरण में शकम्भरी भक्त मंडल से आशीष जोशी, अरुण क्याल, संजीव सुल्तानिया तथा अन्य सदस्यों का सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन प्रसून मल ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से घनश्याम गोयल, बेगराज गोयल, विष्णु गोयनका, सुबोध टेकरीवाल, देवकी नंदन अग्रवाल, दिनेश कुमार सिंघानिया, सन्त कुमार भीमसरिया, जगदीश आनन्द, माधव जालान, दिनेश अग्रवाल, द्वारिका गोयल, नीरज मातनहेलिया, मक्खन गोयल, उमा अग्रवाल, मनमोहन जाजोदिया, पवन सिंघानिया, विनीत अग्रवाल, कनक हरि अग्रवाल, अभय सिंह, हरि जालान, उमेश सिंघानिया, रसेंदू फोगला समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहें।

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