विगत 76 वर्षों से जारी है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलने की परंपरा
गोरखपुर
गोरखपुर। आषाढ शुक्ल द्वितीया रविवार को बाबू मथुरा प्रसाद शीश महल धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा धूमधाम से भगवान जगन्नाथ का रथ यात्रा निकाली गई। जयघोष के साथ जाफरा बाजार के शीश महल स्थित मंदिर से रविवार को भगवान की आरती-पूजन के बाद यात्रा निकाला गया। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए। रथ पर भगवान जगन्नाथ के साथ बलराम जी और सुभदा जी भी विराजमान थी। यात्रा शीशमहल मन्दिर से निकल कर जाफरा बाजार, अंधियारी बाग, दुर्गाबाड़ी, चरन लाल चौक, आर्यनगर, थवई का पुल, दीवान बाजार, बेनीगंज होते हुए पुनः शीशमहल मन्दिर पर पहुंच कर सम्पन्न हुई। भगवान जगन्नाथ जी को श्री कृष्ण जी का अवतार माना गया है। उनका पावन धाम उड़ीसा जगन्नाथ पुरी है। इसे प्रमुख धामों में से एक माना गया है।
रथयात्रा के सन्दर्भ में पौराणिक मान्यता है कि जगन्नाथ जी 15 दिन तक अस्वस्थ रहने के बाद इस दिन स्वस्थ हुए थे। इसी बात पर सुभद्रा जी ने नगर देखने की इच्छा व्यक्त की, अपनी बहन को नगर भ्रमण करवाने के उद्देश्य से रथ पर विराजमान होकर निकले। देवर्षि नारद ने श्री कृष्ण से प्रार्थना की, हे सर्वेश्वर आप तीनों इसी रूप में विराजमान हो। पौराणिक मान्यता के आधार पर जो इस रथयात्रा में सम्मलित होकर रथ को खीचता है उसकी मनोकामना पुण्य होती है।
सचिव अनिल कुमार ने बताया कि जाफरा बाजार स्थित शीश महल मंदिर बाबू मथुरा प्रसाद खजांची का पुस्तैनी मन्दिर है। यह रथ यात्रा सन् 1848 ई० से बाबू मथुरा प्रसाद खजांची के द्वारा निकाली जाती थी। उसके उपरान्त उनके दत्तक पुत्र गोपाल लाल ने अपने जीवन काल में मन्दिर को देख-रेख, रथ यात्रा सम्पन्न करने के लिए एक ट्रस्ट बनाया जो कि बाबू मथुरा प्रसाद शीश महल धर्मार्थ के नाम से स्थापित किया।
यात्रा में मुख्य रूप से अशोक कुमार, अवधेश कुमार, प्रमोद कुमार, अनुराग गुप्ता, शाश्वत अग्रवाल, अभिषेक शर्मा, सर्वेश कुमार, आदित्य, सागर, शाश्वत, जयेश, दिवेश, सत्येश आदि शामिल रहे।