सुयोग्य वर के प्राप्ति के सोमवारी व्रत, श्रावण माह में पड़ रहे है पांच सोमवार

गोरखपुर

श्रावण महिना सर्वार्थ सिद्धि योग में प्रारंभ हो रहा है। सोमवार के दिन से श्रावण का शुभारंभ और समापन एवं सर्वार्थ सिद्धि योग प्रथम दिन है।ऐसा योग 72 वर्षों के पश्चात निर्मित हो रहा है।

श्रावण माह में पांच सोमवार पड़ रहे हैं, 22 जुलाई, 2024, दिन सोमवार से शुरू होकर 19 अगस्त, 2024, सोमवार को समाप्त होगी। इसमें पांच सोमवार है। मान्यता के अनुसार समस्त सोमवार व्रतों का वैशिष्ट्य बना रहेगा।

यह श्रावण कृष्ण पक्ष प्रतिपदा के दिन दिनांक 22 जुलाई को है। इस दिन कृष्ण प्रतिपदा तिथि और शुभ नक्षत्र श्रवण है। श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हैं जो शिव जी के ललाट को सुशोभित करते हैं। श्रवण नक्षत्र सम्पूर्ण दिन और रात को 12 बजकर 42 मिनट तक, प्रीति योग भी सायंकाल 8 बजकर 49 मिनट तक, पश्चात आयुष्मान योग और सिद्धि नामक औदायिक योग भी हैं। इस दिन व्रत से व्यापार में अभिवृद्धि के साथ सर्वतोमुखी उन्नति के योग प्राप्त होंगे।

सावन का महिना भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इस महिने में सनातनी हिन्दू शिव के भक्ति में रंग जाते हैं। भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए पूरे सावन महीने भर भगवान शिव की सेवा और भक्ति में लीन रहते हैं। इस महिने में भी सोमवार का विशेष महत्व है। शिव का एक नाम सोम भी है।इस महिने का समापन श्रवण नक्षत्र में होता है। श्रवण नक्षत्र के स्वामी भी शिव जी है। श्रवण नक्षत्र के कारण ही इसे श्रावण मास कहा जाता है। सोम अर्थात चन्द्रमा भगवान भोलेनाथ के ललाट में विद्यमान रहते हैं। चन्द्रमा उनके शरीर में ही समाहित हैं। इसलिए भगवान को यह दिन अत्यंत प्रिय है। ज्यादातर लोग इस महिने में सोमवार का व्रत रखते हैं। जो वर्ष में सोमवार का व्रत नहीं रखते हैं वे भी इस महिने में सोमवार का व्रत करते हैं। सोमवार व्रत करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यशाली होने का आशिर्वाद मिलता है पति की लंबी आयु प्राप्त होती है। यदि कुंवारी कन्या व्रत रखतीं हैं तो सुयोग्य वर कै प्राप्त करती है।

प्रथम सोमवार : यह श्रावण कृष्ण पक्ष प्रतिपदा के दिन दिनांक 22 जुलाई को है। इस दिन कृष्ण प्रतिपदा तिथि और शुभ नक्षत्र श्रवण है। श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हैं जो शिव जी के ललाट को सुशोभित करते हैं। श्रवण नक्षत्र सम्पूर्ण दिन और रात को 12 बजकर 42 मिनट तक, प्रीति योग भी सायंकाल 8 बजकर 49 मिनट तक, पश्चात आयुष्मान योग और सिद्धि नामक औदायिक योग भी हैं। इस दिन व्रत से व्यापार में अभिवृद्धि के साथ सर्वतोमुखी उन्नति के योग प्राप्त होंगे।

द्वितीय सोमवार : यह 29 जुलाई श्रावण कृष्ण नवमी तिथि को है।इस दिन भरणी नक्षत्र विद्यमान है।इस नक्षत्र के स्वामी शुक्र ग्रह है। घर नामक औदायिक योग है। नवमी तिथि के कारण इस दिन के व्रत से समस्त पितरों की कृपा प्राप्त होगी।साथ ही साथ धन लाभ के सुअवसर भी मिलेंगे। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

तृतीय सोमवार : यह श्रावण शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पांच अगस्त के दिन है। इस दिन श्लेषा नक्षत्र और सौम्य नामक औदायिक योग है। इस दिन के व्रतार्चन से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी, फलत: समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होगी।

चतुर्थ सोमवार : यह भी श्रावण शुक्ल पक्ष में अष्टमी तिथि दिनांक 12 अगस्त को है।इस दिन स्वाती नक्षत्र और शुक्ल योग तथा छत्र नामक औदायिक योग है। अष्टमी तिथि के स्वामी स्वयं शिव ही हैं। अतः इस दिन के व्रत से विद्या की समुन्नति और सदाचार की वृद्धि होगी।

पंचम सोमवार : यह 19 अगस्त को है।इस दिन रक्षाबंधन का पर्व भी है।इस दिन भी श्रवण नक्षत्र, सौभाग्य योग और सिद्धि नामक औदायिक योग है।इस दिन के शिव आराधना से समस्त बाधाओं का उन्मूलन और ग्रह कृत दोषो की निवृत्ति होगी।

– आचार्य पंडित शरदचन्द्र मिश्र

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