बिन कजरी, झूला के सुना है सावन…
गोरखपुर
गोरखपुर। शारदा संगीतालय द्वारा संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के सहयोग से आयोजित दस दिवसीय पारम्परिक लोक गायन कार्यशाला में 35 महिला पुरुष पारंपरिक लोक गीत का प्रशिक्षण ले रहे है , कार्यशाला के प्रशिक्षक डॉ राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि पारंपरिक गीतों के प्रति प्रतिभागियों में खूब लहक है लेकिन उन्हें ये नहीं मालूम कि कजरी , सावनी, झूमर , नकटा क्या होता है , क्यों की ना कही अब झूला दिख रहा है ना ही कही कजरी सुनने को मिल रही है , डॉ राकेश ने बताया कि इस कार्यशाला में कजरी , सावन , झूमर , नकटा के प्रशिक्षण के साथ साथ उनके महत्व को भी तरीक़े से समझाया जा रहा है , भोजपुरी संस्कृति को अक्षुण रखने हेतु आज के नई पीढ़ी को अपने लोक परम्परा और संस्कृति से जोड़ना बहुत ही आवश्यक है । इस प्रशिक्षण में कजरी के विभिन्न प्रकारों को सिखाया जा रहा है , जैसे मिर्ज़ापुरी, बनारसी कजरी, सावनी झूमर , नकटा इत्यादि । , इन प्रशिक्षित कलाकारों की प्रस्तुति 26 जुलाई को सायं 6 बजे श्री चित्रगुप्त मंदिर बख्शीपुर में होगी।