सावनी गीतों की शानदार प्रस्तुति पर झूमे श्रोता, प्रतिभागी हुए सम्मानित
गोरखपुर
घेरि आई कारी बदरिया रे बरसे आधि रात
लोक गीत संगीत की आत्मा : रवींद्र मिश्रा
शारदा संगीतालय द्वारा आयोजित दस दिवसीय लोकगीतों के कार्यशाला का समापन
गोरखपुर। शारदा संगीतालय द्वारा उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के सहयोग से आयोजित पारंपरिक लोकगीत कार्यशाला का समापन हुआ।
दस दिवसीय कार्यशाला का समापन शुक्रवार को बक्शीपुर स्थित चित्र गुप्त मंदिर के सभागार में प्रतिभागियों द्वारा सीखे हुए गीतों की प्रस्तुति से हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। मुख्य अतिथि रवींद्र मिश्र उप निदेशक /पर्यटन , विशिष्ट अतिथि दुर्गेश चंचल, आलोक रंजन वर्मा ने मां सरस्वती के चित्र पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्जवलित किया। कार्यक्रम की शुरुआत कार्यशाला के निर्देशक डॉ राकेश श्रीवास्तव के निर्देशन में सरस्वती वंदना “हे मईया शारदा तू हमके सवांर द ….। इसके बाद समवेत स्वर में प्रस्तुति हुई “घर से चला गुजरिया झूला खेले बरसात में…, जो सावन की कजरी का एहसास कराया।
प्रतिभागियों में निधि श्रीवास्तव, इसरावती सिंह, शीला सिंह, रेखा पवन, दिव्यांका दुबे, लक्ष्मी गुप्ता, कृतिका, शीतल सहनी, उषा श्रीवास्तव, शिवांगी त्रिपाठी, राधा मधेशिया, अंशिका सिंह, बबीता पांडेय, पवन पंछी, वीरसेन सूफ़ी अविका श्रीवास्तव, रानु पांडेय, स्वीटी सिंह , कनिष्का श्री, अनीता सिंह, सारिका राय, अंजना लाल एवं ईशा गौड़ ने कई सावन के पारंपरिक गीतों की प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथि रविंद्र मिश्रा ने कहा लोक गीत संगीत की आत्मा है, इसे संरक्षित करना हम सबका दायित्व है, इस उत्कृष्ट कार्यक्रम लिए मैं डॉ राकेश श्रीवास्तव को बधाई देता हूँ। कार्यक्रम का संचालन शिवेंद्र पांडेय ने किया।
इस अवसर पर हरि प्रसाद सिंह, कनक हरि अग्रवाल, ध्रुव श्रीवास्तव भानु मिश्रा, मोबाइल बाबा, प्रवीण श्रीवास्तव, सुधा मोदी, रीता श्रीवास्तव, त्रिभुवन तिवारी, विजय श्रीवास्तव संगीता मल्ल सहित तमाम गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। वाद्य यंत्रों पर संगत त्रिपुरारी मिश्र, बँटी बाबा, अमर चन्द्र एवं बेचन गौड़ ने किया।