स्वास्थ्य शिविर में हुआ 138 मरीजों का कैंसर संबंधित लक्षण की जांच
गोरखपुर
50% कैंसर का देर से पता चलने का प्रमुख कारण अशिक्षा, जागरूकता की कमी, डर और कलंक
गोरखपुर। भारत में प्रतिवर्ष 11 लाख नए कैंसर के मामले सामने आते हैं, जिनमें से दो-तिहाई का निदान बाद के चरण में किया जाता है, जिससे रोगियों के जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है। 50% कैंसर का देर से पता चलने का प्रमुख कारण अशिक्षा, जागरूकता की कमी, डर और कलंक है। अधिकांश कैंसर रोगी गांवों से हैं जहां लोगों के बीच कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने, शीघ्र पता लगाने और शीघ्र निदान की सुविधाएं लगभग नगण्य हैं। चूंकि ग्रामीणों के बीच कैंसर के त्वरित निदान की सुविधा प्रदान करना बहुत कम है, इसलिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सन्त कबीर नगर के सहयोग से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र , सेमरियावाँ, सन्त कबीर नगर के प्रांगण में शुक्रवार को हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल एवं शोध संस्थान, गीता वाटिका द्वारा एक नि:शुल्क कैंसर जागरूकता स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें आए 138 मरीजों का कैंसर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सी. पी. अवस्थी ने कैंसर संबंधित लक्षण की जांच की। सबसे ज्यादा दिखाने आए पुरुषो में मुंह, जीभ, पेट, प्रोस्टेट, गले में गांठ आदि में परेशानी वाले लोग रहे, जबकि महिलाओं में स्तन में गांठ, गर्भाशय, अंडाशय की संभावित समस्या वाले लोग आए। सभी लोगों की समस्या देखकर तथा जांचकर उचित नि:शुल्क दवाई दी गई। कैंसर के प्रकार एवं उनके लक्षण के दुर्दांत रोग कैंसर के सम्भावित मरीजों एवं उनके परिजनों को प्रशिक्षण तथा इलाज के बारे में जानकारी दी गई।
इस स्वास्थ्य शिविर में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तथा अस्पताल में आए सभी लोगों को विस्तृत रूप से सर्वाइकल की रोकथाम में एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) टीकों की भूमिका पर जोर दिया गया। इस कार्यक्रम में “इसे समय पर पकड़ें, हर बार जल्दी पता लगाने के मामले में इसे हराएं” थीम के साथ शीघ्र पता लगाने के महत्व पर जोर दिया गया। उन्हें समझाया गया कि जब कैंसर की देखभाल में देरी होती है तो मरीजों के बचने की संभावना कम होती है। हमें कैंसर के निवारक उपायों को जानना चाहिए। यदि कोई समस्या है, तो हमें कैंसर के शीघ्र निदान और अच्छे उपचार के बारे में पता होना चाहिए। कैंसर उन बीमारियों में से एक है जिसका शीघ्र निदान सफल उपचार के लिए सबसे अच्छा मौका देता है। महिलाओं को स्तन कैंसर बीमारी के बारे में जागरूकता की कमी के साथ-साथ सामर्थ्य की कमी और शीघ्र पता लगाने और उपचार के लिए सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण अभी भी 50% से 70% मरीज उन्नत चरण में मौजूद हैं। भारत में मौखिक कैंसर की उच्च घटना पान (तंबाकू के साथ या बिना) चबाने, धूम्रपान और शराब के उच्च प्रसार के कारण है। ग्रामीण भारत में कैंसर के इस उच्च प्रसार का कारण लोगों में जागरूकता की कमी, स्वयं की उपेक्षा और देर से प्रस्तुति, चिकित्सकों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की जागरूकता की कमी और प्रारंभिक निदान के संबंध में ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी, वैकल्पिक प्रणालियों और नीम-हकीमों का प्रचलन है। जिन्हें कैंसर और इसके प्रबंधन, प्रचलित तम्बाकू, धूम्रपान और शराब के उपयोग, गरीबी और संसाधन की कमी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में, कई लोग कैंसर को संक्रामक संक्रामक रोग मानते हैं और इसे परिवार के लिए वर्जित मानते हैं जिससे अलगाव होता है। कैंसर केंद्र से निवास की दूरी भी कैंसर रोगियों में देर से प्रस्तुति और खराब जीवित रहने के लिए जिम्मेदार है। ग्रामीण इलाकों में युवाओं के बीच तंबाकू की लत आग में घी डालने का काम करती है, जो भारतीय आबादी में मौखिक घातकता के प्रमुख कारण के लिए जिम्मेदार है। इसलिए कैंसर होने के थोड़े से भी शक होने पर तुरंत एक कैंसर चिकित्सक को दिखाकर दूर करे। कैंसर न हो तो बहुत अच्छा और हो भी तो तुरंत समय से उसका ईलाज हो जाए।
कैंसर से बचाव के लिए धूम्रपान न करने, बीवी, बच्चों आदि के सामने धूम्रपान न करने की सलाह दी गई। तम्बाकू और शराब के सेवन से भी मुंह के कैंसर से कोई ग्रसित हो जाता है। इसलिए इनका सेवन कतई नहीं करना चाहिए। माता-पिता को संतुलित आहार लेने, जंक फूड आदि न करने तथा हरी पत्तेदार सब्जियां खाने को बताए जिससे स्वस्थ जीवन शैली बनी रहे। सभी लोगो को कैंसर से संबंधित पत्रक, विवरण पुस्तिका आदि वितरित किया गया ताकि वे लोगो को कैंसर के बारे मे जागरुक कर सकें।
शिविर में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुभाष चंद्रा, डॉ. राकेश श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव, मोहम्मद अफजाल, सत्यवती तिवारी, सुनील मिश्र, रामसूरत सिंह, नारद मुनि, स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर एवं अन्य कर्मचारियों आदि का कार्य उल्लेखनीय रहा।