भगवान शिव को प्रसन्न करने का मास है सावन : बालक दास

गोरखपुर

गोरखपुर। श्री गोरखनाथ मंदिर के सानिध्य में अंधियारी बाग स्थित श्री मानसरोवर मन्दिर में सप्त दिवसीय आयोजित श्रीशिव महापुराण कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को व्यासपीठ से कथा सुनाते हुए कथा व्यास बालकदास ने कहा कि सावन का महीना देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए सबसे खास होता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक सावन का महीना साल का पांचवां महीना होता है। धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार, यह महीना भगवान शिव को सबसे प्रिय माना गया है। सावन के महीने में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने और जलाभिषेक करने का विशेष महत्व होता है। सावन के महीने में माता पार्वती ने कठोर तपस्या करते हुए भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त। शिव की पूजा करने वाले को वह सब कुछ मिल जाता है जिसकी वह इच्छा करता है। शिव सबके मनोरथ पूरा करते है।

भगवान कार्तिकेय और गणेश के विवाह का कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने अपने दोनों बेटों से कहा कि जो सबसे पहले पूरी दुनिया का चक्कर लगाकर आएगा, उसका विवाह पहले होगा। दोनों अपनी-अपनी सवारी से निकलते हैं तो बीच में नारद जी मिल जाते हैं। उन्हें देखकर कार्तिकेय जी नहीं रुकते हैं लेकिन गणेश जी रुक जाते हैं। नारद जी जब भगवान गणेश जी से यात्रा पर निकलने की वजह पूछते हैं और जब वह उन्हें विवाह के लिए पिता द्वारा दुनिया की परिक्रमा करने का आदेश देने की बात बताते हैं। यह सुनने के बाद नारद जी उन्हें सलाह देते हैं कि उनकी दुनिया तो माता-पिता ही हैं। यह सुनना था कि गणेश जी तत्काल शिव-पार्वती की परिक्रमा लगाते हैं। इस प्रकार शिव का पूरा जीवन हम सबको मर्यादिय रहने की शिक्षा देता है।

कथा में स्थानीय पार्षद पवन त्रिपाठी, विनय चर्तुवेदी, हनुमान नाथ आदि उपस्थित रहे।

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