कवियों के रचनाओं पर खूब लगे ठहाके,

गोरखपुर

गोरखपुर। एक नई आशा द्वारा आयोजित हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

एक नहीं आशा की संस्थापक सीमा छापड़िया द्वारा गुरुपूजा व एक नई आशा संस्था द्वारा गोद लिए गए रावत पाठशाला के नन्हे मुन्ने बच्चों द्वारा स्वागत गीत पर नृत्य की प्रस्तुत किया गया। इसके पश्चात संतोष अग्रवाल, ज्योति प्रकाश मस्करा, संस्थापक आशीष छापड़िया, अध्यक्ष अनूप बंका, सचिव रोहित रामरायका, तन्वी अग्रवाल, विश्व विख्यात
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कविगण अरुण जैमिनी, रमेश मुस्कान, हेमंत पांडे, मनु वैशाली, योगेंद्र शर्मा एवं गोविंद राठी, कनिष्का श्री द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

दीप प्रज्जवलित करते कविगण और कार्यक्रम संयोजक समिति के लोग।

कार्यक्रम के सभी प्रायोजकों को सम्मानित करने के पश्चात अध्यक्ष अनूप बंका ने अपने उद्बोधन में संस्था का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया।
कवि सम्मेलन की शुरुआत सरस्वती वंदना से की गई। सरस्वती वंदना कवित्री मनु बैशाली द्वारा प्रस्तुत किया गया।

कविताओं का आनंद लेते श्रोतागण।

कानपुर से आए हेमंत पाण्डेय ने कानपुरिया अंदाज में रचना प्रस्तुत किया। पाण्डेय ने कहा
“नेता जी घर आये है, लड्डू पूड़ी लाये है।
दिखा रहे है अच्छे सीन, बजा रहे है मिलके बीन।
जीत गये तो बल्ले बल्ले, हार गये तो क्वारन्टीन” जैसे अनेक रचनाओं ने श्रोताओं को हंसा हंसा कर लोटपोट कर दिया।

वीर रस प्रस्तुत करते योगेंद्र शर्मा।

जब मंच से सबसे छोटी कवित्री कनिष्का श्री ने “राम मंदिर की शोभा है न्यारी” सुनाया तो लोग मंत्रमुग्ध हो गए।

कविता प्रस्तुत करती कवित्री कनिष्का श्री अग्रवाल।

इसके बाद दिल्ली से आई मनु वैशाली द्वारा

“लड़ती थी लाड़ में इक, बछिया वो नीम नीचे, पूछो न नीम की उस छाॅंव में क्या रखा है! बक्सों में उन घरों के, रक्खा है इक जमाना, तुम कह रहे हो’ वैसे गाँवों में क्या रखा है!”

भीलवाड़ा (राजस्थान) से योगेंद्र शर्मा ने अपनी वीर रस की रचना –
“भृकुटी तान कर देखो सारा ध्वंस क्लेश रुक जाएगा”!
“भारत माँ के चरणों में यह बंग्लादेश झुक जाएगा”!!
शर्मा के वीर रस रचनाओं ने माहौल को देश भक्तिमय बना दिया। प्रत्येक चंद पर तालियां बटोरी। तालियों की गड़-गड़ाहट से पूरा परिसर गूंज रहा था।

कविता प्रस्तुत करते रमेश मुस्कान।

अगरा से रमेश मुस्कान ने कहा

“सुबह भाजपा में कटी, शाम सपा के साथ,

लेकिन जब परचा भरा चुनाव चिन्ह था हाथ।

कविता प्रस्तुत करती मनु वैशाली।

दिल्ली से आए अरुण जैमिनी ने कहा
आँखों में पानी,
दादी की कहानी,
संतों की बानी,
कर्ण जैसा दानी, परोपकारी बंदे और अर्थी को कंधे ढूँढते रह जाओगे। पर सौदागर में बैठे कविताओं पर सभी हंस-हंसकर लोटपोट हो गए।

श्रोताओं में संचार भरते गोविन्द राठी।

कवि सम्मेलन का संचालन दिल्ली से आये गोविंद राठी ने किया और अपने काव्य पाठ में
क्या-क्या मंज़र, रखा हुआ है,
मेरी मां की गोद में,
धरती अंबर रखा हुआ है।
मेरी मां की गोद में, मैं पैसठ बरस
का हो के भी बूढ़ा नहीं हुआ, मेरा सर
रखा हुआ है मेरी मां की गोद में सुनाया।
कविगण को कनक हरि अग्रवाल ने श्रीमद्भागवत गीता भेंट की। कार्यक्रम का समापन एक नई आशा के सचिव रोहित रामरायका  ने धन्यवाद ज्ञापन कर किया।

रचना प्रस्तुत करते हास्य कवि हेमंत पांडेय।

संचालन मनीष केडिया और रितु जालान ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से अतुल सर्राफ, प्रेम अग्रवाल, पवन सिंघानिया, नितिन जलान, संजय अग्रवाल, राजेश ओझा, अनुपम खेतान सहित एक नई आशा संस्था से अरविन्द अग्रवाल,शिवम बथवाल, मनोज बंका,राधा सराफ,गौरव लिलारिया, संजय सुरेखा, सुनैना बंका, उषा मस्कारा, कश्यप अग्रवाल, नमामि अग्रवाल, कनक हरि अग्रवाल, निशि अग्रवाल, मुकुल जालान, दिनेश अग्रवाल, राहुल खेतान,डॉ संजय लाठ, अनुराग अग्रवाल,पवन चौधरी,मोना जालान सहित शहर के तमाम गढ़मान्य लोग उपस्थित रहे।

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