प्रकृति के चित्रों को बेहतरीन बनाती है फोटोग्राफी : शरद मणि
गोरखपुर
अंतराष्ट्रीय फोटोग्राफी दिवस पर द शैडो आफ नेचर में दिखा प्रकृति का सौंदर्य
गोरखपुर। दीप्तिमान संस्कृति फाउंडेशन फॉर आर्ट कल्चर एन्ड हेरिटेज द्वारा अंतर्राष्ट्रीय फोटोग्राफी दिवस के अवसर पर तृतीय अंतर्राष्ट्रीय छायाचित्र प्रदर्शनी एवं कार्यशाला ‘द शैडो ऑफ़ नेचर’ का आयोजन स्थानीय एमजी कॉलेज के सभागार में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन एवं गैलरी के अवलोकन से हुई। कार्यक्रम में फाउंडेशन के मुख्य ट्रस्टी डॉ. सन्दीप कुमार श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया और फाउंडेशन के कार्यकलापों का संक्षिप्त वृत्त प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संगीत एवं नाटक अकादमी के पूर्व सदस्य डॉ. शरद मणि त्रिपाठी ने कहा कि महानगर का निर्माण केवल भौतिक अवस्थापनाओं से ही नहीं होता अपितु सांस्कृतिक व आध्यात्मिक आयोजनों और क्लात्मकता के प्रति रूचि रखने वाले समाज द्वारा भी होता है। फोटोग्राफी केवल कैमरे की कला नहीं है बल्कि ये एक जूनून है। बॉक्स कैमरे से लेकर आज के अत्याधुनिक डिजिटल कैमरे की यात्रा में मनुष्य की प्रतिभा और कल्पनाशीलता में अद्वितीय उन्नति देखने में आयी है।
प्राकृतिक घटनाओं के खूबसूरत दृश्य अगर कैमरे में कैद हो जाते हैं तो आने वाले वक़्त में वे हमारी अगली पीढ़ी के लिए एक अमूल्य विरासत बन जाते हैं। हम प्रकृति के साथ आज खिलवाड़ कर रहे हैं और ऐसा संभव है कि आने वाले समय में इंद्रधनुष के कुदरती दृश्य केवल कैमरे में ही कैद रह जाएँ। उन्होंने प्राकृतिक दृश्यों को कैमरे में कैद कर उसे फाउंडेशन के साथ साझा करने की अपील किया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ शिक्षाविद व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. राजेश चंद्र गुप्त विक्रमी ने कहा कि ऐसे आयोजनों से शहर का मान बढ़ता है। प्राकृतिक दृश्यों को कैमरे में कैद करना धरोहर के संरक्षण का कार्य है। मनुष्य प्रकृति का न्यासी है और प्रकृति की छाया में एक बेहतर जीवन जीता है। कई बार लेखनी से लिखकर भी वो बातें व्यक्त नहीं की जा सकती हैं जो कैमरे से दृश्यों को कैद कर की जा सकती हैं। जंगल में बन्दूक से वन्य जीवो का शिकार करने का शौक अमानवीय है किन्तु कैमरे से वन्यजीवों के क्रियाकलापों का शिकार करना न केवल मानवीय है बल्कि प्रेरणादायी है।
वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी विश्वमोहन तिवारी जी ने शुभकामनाएं दिया और सीमित संसाधन में बेहतरीन कार्यक्रम करने के जूनून की प्रशंसा की।
संस्कृतिकर्मी आचिंत्य लाहिड़ी ने कहा कि आज लोगों में फोटोग्राफी का प्रचलन आम व्यवहार में आया जरूर है पर उनमें इस कला को लेकर संवेदनशीलता और जागरूकता का अभाव है। उन्होंने डिजिटल आर्ट लाइब्रेरी विकसित करने का सुझाव दिया और शहर की विरासती इमारतों में आर्ट गैलरी लगाने का सुझाव दिया।
संचालन अधिवक्ता शुभेन्द्र सत्यदेव और आभार ज्ञापित फाउंडेशन की ट्रस्टी ऋतु ने किया।
इस अवसर पर रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी, डॉ. संजय श्रीवास्तव, शैवाल शंकर, अनुपम सहाय, दीपक चक्रवर्ती सहित कलाप्रेमी गणमान्य जन उपस्थित रहे।
प्रकृति के खूबसूरत दृश्यों का हुआ प्रदर्शन
दीर्घा में देश के नामचीन फोटोग्राफर्स में से थ्रीश कपूर, वरुण मजूमदार, धीरज सिंह, गौरव गुप्ता, आशुतोष सिंह, राजेश कुमार, आनंद चौधरी, गुरदीप धीमान, नीलेश कुमार, सुगम सिंह, पूजा सिंह, अनिल सिन्दूर, डॉ. शशि शेखर मिश्र, शिव शरण दास, अमन रौनियार, सोमू मुखर्जी आदि की खूबसूरत फोटोग्राफी तसवीरों की प्रस्तुति की गई।