कुष्ठ और टीबी मरीजों को खोजने के साथ अन्य संचारी रोगों के प्रति भी करें जागरूक : सीएमओ
गोरखपुर
कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम और टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत आशा कार्यकर्ताओं का हुआ प्रशिक्षण
दो सितम्बर से कुष्ठ रोगी खोजी और नौ सितम्बर से सक्रिय टीबी मरीज खोजी अभियान चलेगा
गोरखपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने आशा कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वह सितम्बर माह में कुष्ठ और टीबी के नये मरीजों को खोजने के साथ साथ अन्य संचारी रोगों जैसे डेंगू, चिकनगुनिया, इंसेफेलाइटिस और फाइलेरिया आदि के प्रति भी लोगों को जागरूक करें। उन्हें बताएं कि किसी भी प्रकार का बुखार होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच व इलाज करवाना है। बुखार की जांच जितनी जल्दी होगा, जटिलताएं बढ़ने की आशंका उतनी ही कम होगी । शहरी क्षेत्र की सैकड़ों आशा कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम और राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत एनेक्सी भवन सभागार में शनिवार को प्रशिक्षित किया गया।
प्रशिक्षण को सम्बोधित करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि दो सितम्बर से शुरू हो रहे कुष्ठ रोगी खोजी अभियान (एलसीडीसी) और नौ सितम्बर से प्रस्तावित सक्रिय क्षय रोगी खोजी अभियान (एसीएफ) की सफलता में आशा कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका होगी। एलसीडीसी दो सितम्बर से पंद्रह सितम्बर तक चलेगा, जबकि एसीएफ नौ सितम्बर से बीस सितम्बर तक चलाया जाएगा। एलसीडीसी के तहत एक आशा और एक पुरुष कार्यकर्ता की टीम घर घर जाकर दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को कुष्ठ के प्रति जागरूक करेंगी। साथ ही लक्षणयुक्त मरीजों की निजता का ध्यान रखते हुए एकांत में उनके शरीर के सभी अंगों को देखा जाएगा। इसके बाद संभावित कुष्ठ मरीजों को संदर्भन पर्ची के साथ नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाएगा । एसीएफ अभियान के तहत तीन सदस्यों की टीम माइक्रोप्लान के अनुसार संबंधित क्षेत्र में पहुंच कर टीबी के लक्षणों के बारे में जानकारी देगी। टीबी के संभावित रोगियों को बलगम जांच के लिए प्रेरित किया जाएगा और जांच करवा कर बीमारी मिलने पर इलाज की सुविधा दी जाएगी।
जिला क्षय उन्मूलन और जिला कुष्ठ उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव ने बताया कि शरीर में अगर कहीं भी चमड़ी से हल्के रंग का सुन्न दाग धब्बा हो तो वह कुष्ठ भी हो सकता है। यह धाग धब्बा शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। अगर समय से बीमारी की पहचान हो जाए तो इलाज कर कुष्ठ से होनी वाली दिव्यांगता को रोका जा सकता है। कुष्ठ के जांच और इलाज की सुविधा सभी अस्पतालों पर मौजूद है। अभियान के दौरान प्रत्येक टीम को एक दिन में पंद्रह से बीस घरों में जाकर मरीज ढूढना है। टीम के प्रत्येक सदस्य को पचहत्तर रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलेगी। मरीज की पुष्टि होने पर 250 रुपये और मिलेंगे। पीबी कुष्ठ रोगी के ठीक होने पर देखरेख के लिए 400 रुपये और एमबी कुष्ठ रोगी के ठीक होने पर 600 रुपये आशा कार्यकर्ता को अतिरिक्त दिये जाएंगे।
डॉ यादव ने बताया कि अगर दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, रात में पसीने के साथ बुखार, सांस फूलना, सीने में दर्द और बलगम में खून आने जैसे लक्षण हों तो यह टीबी भी हो सकती है। इसकी जांच और इलाज की सुविधा सभी सरकारी अस्पतालों में मौजूद है। एसीएफ के दौरान घर घर जाकर स्क्रीनिंग करने पर टीम के प्रत्येक सदस्य 150 रुपये दिये जाएंगे। मरीज की पुष्टि होने पर 200 रुपये प्रति सदस्य को दिये जाएंगे। टीम को मरीजों से दो प्रकार से बलगम लेना है। पहला बलगम तुरंत इकट्ठा करना है, जबकि दूसरा बलगम का सैम्पल खाली पेट इकट्ठा करना है। अभियान के दौरान एक टीम को कम से कम पचास घर का विजिट करना होगा और प्रत्येक घर पर स्टिकर भी लगाना है।
इस अवसर उप जिला कुष्ठ रोगी अधिकारी डॉ अनिल सिंह, कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता, डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र, मिर्जा आफताब बेग, एचई एमडी सिंह, फिजियोथेरेपिस्ट आसिफ खां, एनएमए महेंद्र चौहान और पवन श्रीवास्तव प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।
इफार्मेंट योजना की भी दी गई जानकारी
प्रशिक्षण के दौरान आशा कार्यकर्ताओं को नये टीबी रोगी खोजने संबंधी इफार्मेंट योजना की भी जानकारी दी गयी। उन्हें बताया गया कि अगर उनकी मदद से नया टीबी मरीज खोजा जाता है तो बीमारी की पुष्टि होने के बाद पांच सौ रुपये उनके खाते में सूचना दाता के तौर पर दिये जाएंगे। इस योजना का लाभ गैर सरकारी व्यक्ति को भी नया टीबी मरीज खोजने पर दिया जाता है।