अनुशासन से स्वयंसेवकों ने दिखाई संघ की ताकत

गोरखपुर

गुणात्मक पथ संचलन : शहर के प्रमुख चौराहों से गणवेश में गुजरे संघ के लगभग 1000 स्वयंसेवक

हर जिले में संघ आयोजित करेगा गुणवत्तापूर्ण पथ संचलन : सुनील

महात्मा गांधी इंटर कालेज परिसर से शुरू हुआ पथ संचलन

शंखनाद और पुष्प वर्षा कर संचलन का स्वागत 

महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंद गिरी ने शंखनाद और पुष्प वर्षा कर संचालन का स्वागत किया।

गोरखपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गौरक्ष प्रांत इकाई की ओर से रविवार को शहर में गुणात्मक पथ संचलन का आंयोजन किया गया। घोष ताल पर अनुशासन के साथ कदम से कदम मिलाकर स्वयंसेवकों ने संघ की एकता और ताकत दिखाई। पथ संचलन में गोरक्ष प्रांत के प्रशिक्षण प्राप्त करीब एक हजार स्वयंसेवकों ने संपूर्ण गणवेश में हिस्सा लिया। संचलन मार्ग का अवलोकन अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख सुनील कुलकर्णी ने किया। उन्हीं के मार्गदर्शन में पथ संचलन संपन्न हुआ।

संचलन का स्वागत पुष्प वर्षा कर किया गया। किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंद गिरी ने संचलन का स्वागत फूलों की वर्षा और शंखनाद कर किया। इस दौरान उन्होंने पहले बक्शीपुर चौराहे और टाऊन हॉल स्थित नगर निगम गेट पर अपने पूरे टोली के साथ खड़े होकर संचलन में स्वयंसेवकों पर गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा की। तो वहीं स्वयं शंखनाद करते हुए स्वागत किया। शंखनाद से वातावरण पूरी तरह भक्ति भाव से परिपूर्ण था।

पंथ संचलन की शुरुआत महात्मा गांधी इंटर कालेज से हुआ। कॉलेज से निकल कर अग्रसेन तिराहा होते हुए जुबली चौराहा, बक्शीपुर चौराहा, नाखास चौक, कोतवाली, घोष कंपनी, टाउनहाल होते हुए पुनः महात्मा गांधी कालेज पहुंच कर संपन्न हुआ। इसके बाद कालेज परिसर में भगवा ध्वज लगाकर अमृत वचनं हुआ। संघ गीत के बाद स्वयंसेवकों को सुनील कुलकर्णी का संबोधन के जरिये मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि गुणात्मक संचलन संघ के शताब्दी वर्ष के प्रारंभ का पहला कार्यक्रम है।

संचलन में बक्शीपुर से गुजरती स्वयंसेवकों की टोली का पुष्प वर्षा करती महामंडलेश्वर की टोली।

शारीरिक विभाग ने हर जिले में गुणवत्तायुक्त पथ संचलन करने का निर्णय लिया है। उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि प्रतिदिन अपने जिले की शाखा में पांच मिनट संचलन, भ्रमण, मितकाल आदि का अभ्यास करें। इससे हमारे संचलन की गुणवत्ता बढ़ेगी।

कुलकर्णी ने बताया कि संघ के इतिहास में 1927 में संचलन की परंपरा प्रारंभ हुई। शाखाओं में नियमित संचलन का अभ्यास शुरू हुआ। मार्तंड राव जोग ने संचलन का अभ्यास कराया और 1928 में 21 स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में गुणवत्तापूर्ण संचलन घोष ताल पर एक घंटे किया, जो समाज में चर्चा का विषय बना। इसी क्रम में उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि हमें प्रतिवर्ष संचलन में भाग लेना चाहिए। संबोधन के दौरान मंच पर प्रांत संघचालक डाः महेंद्र अग्रवाल उपस्थिति रहे। संघ प्रार्थना के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में प्रांत प्रचारक रमेश, सह प्रांत प्रचारक सुरजीत, प्रांत कार्यवाह विनय, विभाग प्रचारक अजय, प्रांत सह व्यवस्था प्रमुख हरेकृष्ण, प्रांत शारीरिक प्रमुख तुलसीराम, विभाग संधिचालक शेषनाथ, विभाग कार्यवाह संजय, दुर्गेश, अमरदीप, प्रमोद, पुनीत पांडेय आदि शामिल रहे।

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