उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग की पांच संस्थाओं द्वारा गोरक्ष भूमि से एक उपाध्यक्ष और तीन सदस्य किए गए नामित
गोरखपुर
उप्र संस्कृति विभाग में डॉ. (श्रीमती) मिथिलेश तिवारी को उपाध्यक्ष समेत डॉ. कुमुद सिंह, डॉ. संदीप श्रीवास्तव और मानवेंद्र त्रिपाठी को सदस्य के लिए हुए नामित
डा. (श्रीमती) मिथिलेश तिवारी बिरजू महराज कथक संस्थान की उपाध्यक्ष
डॉ कुमुद सिंह उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान की नामित सदस्य
मानवेंद्र त्रिपाठी भारतेंदु नाट्य अकादमी के नामित सदस्य
डॉ.संदीप कुमार श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी के नामित सदस्य
गोरखपुर। राज्य सरकार ने संस्कृति विभाग के अधीन उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, भारतेंदु नाट्य अकादमी, उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी, उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान और विरजू महराज कथक संस्थान के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और गैर सरकारी सदस्यों को नामित कर दिया है। गोरक्ष भूमि से डॉ. (श्रीमती) मिथिलेश तिवारी, डॉ कुमुद सिंह, डॉ संदीप कुमार श्रीवास्तव और मानवेंद्र त्रिपाठी को संस्कृति विभाग के प्रमुख संस्थानों में मनोनीत होने का सौभाग्य मिला है। इनके मनोनयन पर प्रमुख सचिव संस्कृति, मुकेश कुमार मेश्राम ने आदेश जारी किया । मनोनीत उपाध्यक्ष और नामित सदस्यों ने अपने अकादमिक संस्थानों में पद ग्रहण कर लिया है। सभी का कार्यकाल पदभार ग्रहण करने से तीन वर्ष के लिए होगा।उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन मंत्री श्री जयवीर सिंह और उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री मुकेश मेश्राम , क्षेत्रीय ललित कला अकादमी लखनऊ के क्षेत्रीय सचिव श्री देवेन्द्र त्रिपाठी ने शुभकामना दिया।
बिरजू महाराज कथक संस्थान की उपाध्यक्ष बनी डॉ. (श्रीमती) मिथिलेश तिवारी
डॉ. (श्रीमती) मिथिलेश तिवारी ने कहा कि गुरु गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से बिरजू महाराज कथक संस्थान लखनऊ में उपाध्यक्ष का पद ग्रहण करने का सौभाग्य मिला है । बिरजू महाराज कथक संस्थान शास्त्रीय नृत्य को समर्पित है। जहां से विद्यार्थी कथक नृत्य का प्रशिक्षण लेकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हो रहे हैं। अधिक से अधिक क्षेत्र में कथक के प्रति लोगो में जागरूकता के साथ शिक्षण प्रशिक्षण की व्यवस्था इस संस्थान की प्राथमिकता होगी। नृत्य की मौलिकता को संरक्षित करते हुए विद्यार्थियों को राष्ट्रीय , अंतराष्ट्रीय स्तर पर मंच प्रदान करने का प्रयास किया जायेगा। कुशल प्रशिक्षको द्वारा कार्यशाला और प्रदर्शन के साथ विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को उच्च शिखर तक पहुंचना संस्थान का मूल उद्देश्य है । संस्थान में नवाचार के लिए डॉ.(श्रीमती) मिथिलेश तिवारी ने कहा की संस्थान में परफॉर्मिंग आर्ट्स में नृत्य के साथ शास्त्रीय गायन और वादन का मौलिक संबंध होता है। शास्त्रीय कथक नृत्य के मूल में पारंपरिक शास्त्रीय गायन और वादन को प्रतिष्ठित करने का प्रयास होगा।
देश विदेश में गायन प्रस्तुति से ख्याति अर्जित कर चुकी डॉ. (श्रीमती ) मिथिलेश तिवारी ने शास्त्रीय संगीत को प्रतिष्ठत किया है। आपने गोरखपुर विश्व विद्यालय में भी शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण दिया है। संस्कृति मंत्रालय दिल्ली से लोक संगीत पर अन्वेषकीय कार्य किया है। साथ ही विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में आपके लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
डॉ. कुमुद सिंह , उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान में नामित सदस्य
उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान में नामित सदस्य के रूप में चयनित डॉ. कुमुद सिंह ने लोक कला के क्षेत्र में कार्य किया है । दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से चित्रकला में शोध उपाधि ग्रहण कर अयोध्या के .सु. साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अध्यक्ष के रूप में विद्यार्थियों को कला की बारीकियां सीखा रही है। लोक कला के प्रति समर्पित डॉ कुमुद सिंह ने यू जी सी, नयी दिल्ली से माइनर रिसर्च प्रोजेक्ट
फेलोशिप- भारत और कोरिया के सांस्कृतिक संबंधों का चित्रमय आरेखन पर अन्वेषकीय कार्य किया है। साथ ही
बजाज ऑटो लिमिटेड से फैलोशिप किया है । आपने अयोध्या, लखनऊ, गोरखपुर, दिल्ली, बनारस, राजस्थान, देवरिया एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी नेपाल, और फ्रांस में अपने चित्रों का प्रदर्शन कर चुकी है। आपने कला- भाव, पुस्तक प्रकाशन अनेक पत्रिकाओं के आवरण एवं चित्रों के प्रकाशन के साथ ही कला आधारित लेखों का प्रकाशन किया है।
आपको कला के क्षेत्र में प्रफुल्ल दहानुकर आर्ट फाउंडेशन मुंबई द्वारा सेंट्रल जोन ब्रांच मेडल अवार्ड ,एंपावरिंग वूमेन आर्टिस्ट प्राइस, लोक कला साधना सम्मान लखनऊ,रोटरी क्लब शिक्षक सम्मान,रविंद्र सम्मान ,माता चंपा देवी राष्ट्रीय सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित हुई है ।
डॉ कुमुद सिंह कला और संस्कृति में आधे दर्जन से ज्यादा संस्थानों में सक्रिय है।
डॉ कुमुद ने कहा कि अकादमी के द्वारा लोक कला को पुनः स्थापित करने का सौभाग्य होगा। जिससे अन्यत्र बिखरे लोक कला के विविध रूपों को नव सृजित कर लोक कला के प्रति कलाकारो को जोड़ने का प्रयास किया जायेगा।
मानवेंद्र त्रिपाठी भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ, उत्तर प्रदेश में नामित सदस्य
भारतेन्दु नाट्य अकादमी , लखनऊ उत्तर प्रदेश में नामित प्रख्यात रंग निर्देशक , लेखक , अभिनेता मानवेंद्र त्रिपाठी ने रंगमंच को सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया है। मानवेंद्र जी ने अभिनय के साथ लेखन व निर्देशन में भी अपनी पहचान बनाई है। मेघदूत की पूर्वांचल यात्रा व रामायण मंचन के देश – विदेश में अनगिनत प्रर्दशन कर खासी ख्याति अर्जित की है। रामायण के रंगमंचीय प्रस्तुति के लिए एक तरफ दक्षिण अमेरिकी देशों की यात्रा की तो वहीं वर्चुअल तरीके से भी अनेक देशों यथा- अमेरिका, श्रीलंका, सूरीनाम, त्रिनिदाद, गुयाना, मॉरिशस व फिजी के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। अब तक लगभग 25 नाटकों का निर्देशन एवं पांच नाटकों का लेखन भी किया। निर्देशित नाटकों में दुखवा में बितल रतिया (कहानी -रामेश्वर उपाध्याय, नाट्य रूपांतरण – मानवेन्द्र त्रिपाठी), गूंज उठी शहनाई (लेखक – मानवेन्द्र त्रिपाठी), क्रांतिवीर आज़ाद (देव फौजदार), उठो अहल्या (डॉ सुरेन्द्र दुबे), मुआवजे (भीष्म साहनी), सैयां भए कोतवाल (बसंत सबनीश), किस्सा अजनबी लाश का, बिदेसिया (भिखारी ठाकुर) व प्रेमचंद के पात्र प्रेमचंद के साथ (लेखक – मानवेन्द्र त्रिपाठी) काफी चर्चित रहे। मानवेन्द्र ने रंगमंच के अलावा फिल्म, दूरदर्शन व आकाशवाणी के लिए भी पठकथा, लेखन, निर्देशन व अभिनय किया। आपको आपके रंगमंचीय योगदान के लिए अब तक “भरतमुनि नाट्य सम्मान” (उत्तर प्रदेश), “छोटकू – बड़कू सम्मान”, “मंजूश्री नाट्य सम्मान”, “विश्व भोजपुरी सम्मान”, “स्काई गोरखपुर आइकॉन”, जैसे अनेकों सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है, साथ ही सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा सीनियर फेलोशिप भी मिल चुका है।
भारतेन्दु नाट्य अकादमी , लखनऊ उत्तर प्रदेश में नामित रंग निर्देशक मानवेंद्र त्रिपाठी ने कहा की नव अध्यक्ष श्री रतिशंकर जी के नेतृत्व में नाट्य विधा को पुनः स्थापित करने का प्रयास होगा।
डा.संदीप कुमार श्रीवास्तव राज्य ललित कला अकादमी लखनऊ उत्तर प्रदेश में नामित सदस्य
उत्तर प्रदेश संस्कृति संस्कृति विभाग द्वारा राज्य ललित कला अकादमी लखनऊ उत्तर प्रदेश में नामित सदस्य डा.संदीप कुमार श्रीवास्तव अंतराष्ट्रीय छायाकार एवम् चित्रकार के रूप में धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रति कृत संकल्पित है। डॉ संदीप ने अन्वेषकी दृष्टि से ग्वालियर के चौथे द्वार की खोज करके इतिहास के अनसुलझे रहस्य को उजागर किया। इंडिया बुक आफ रिकॉर्ड में भारत की प्रथम धरोहर छाया चित्र प्रदर्शनी , एशिया बुक आफ रिकॉर्ड में धरोहरों की श्रृंखला में आगरा के ऐतिहासिक स्थलों की लगातार 12 घंटे मैराथन फोटोग्राफी करके एशिया में भारत का प्रतिनिधत्व किया। साथ ही लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में मात्र 30मिनट में सर्वाधिक धरोहर तस्वीरे खींचने का भी रिकॉर्ड्स बना कर कला के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाया।
धरोहरों के संरक्षण के प्रति संकल्पित डॉ संदीप श्रीवास्तव ने विश्व फोटोग्राफी दिवस पर द शैडो आफ नेचर विषय पर विश्व के शीर्ष छायाकारो के साथ वर्ल्ड वाइड रिकॉर्ड्स बना कर भारत का प्रतिनिधित्व करने का नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
टेक्सटाइल और कार्पेट के क्षेत्र में मलेशिया में कार्पेट डिजाइनर के पर कार्य कर चुके है। वर्तमान में भारत सरकार के टेक्सटाइल और हेंडीक्राफ्ट डिपार्टमेंट में एमिनेंट आर्टिस्ट के तौर पर 2027 तक अनुबंधित है। साथ ही आईसीएचआर के रिसर्च प्रोजेक्ट में अन्वेष्की कार्य को अनवरत कर रहे है।
डॉ संदीप दैनिक यूनाइटेड भारत, स्वतंत्र चेतना, स्थानीय समाचार पत्रों में बतौर सांस्कृतिक संवाददाता के रूप में 6 वर्षो तक कार्य किया साथ ही कला और संस्कृति पर केंद्रित पत्रिकाओ का भी संपादन किया है। आपके एक दर्जन से ज्यादा शोध पत्र, जर्नल्स प्रकाशित हो चुके हैं।
डॉ संदीप को कला , इतिहास , साहित्य , संस्कृति और पुरातत्व के क्षेत्र में सम्मानित किया जा चुका है ।
वर्तमान में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य, विश्वविद्यालय की मासिक पत्रिका सेवा पथ का सह संपादन के साथ एनसीसी 102 यूनिट के ए.एन.ओ की जिम्मेदारी का निर्वाहन कर रहे हैं।
राज्य ललित कला अकादमी के नामित सदस्य के रूप में चयनित होने पर डॉ संदीप कुमार श्रीवास्तव ने माता , पिता, गुरुजनों , उत्तर प्रदेश संस्कृति मंत्रालय , राज्य ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश, शहर के प्रतिष्ठित कला सांस्कृतिक संस्थानों के प्रति आभार व्यक्त किया।
डॉ संदीप ने कहा की गुरु गोरखनाथ के श्री चरणों में यह चयन समर्पित है। अकादमी के दिशा निर्देशों और अध्यक्ष डॉ सुनील कुमार विश्वकर्मा जी के नेतृत्व में कला के उत्थान संवर्धन का कार्य प्रथम प्राथमिकता होगी। नई कार्यकारणी प्रदेश में कला और संस्कृति के पुनः संजीवनी देने के लिए कृत संकल्पित है।
संस्थाओं में मनोनीत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और गैर सरकारी सदस्यों को शासनादेश के अनुसार सुविधाएं अनुमन्य होंगी। संस्कार भारती से जुड़े सभी इकाइयों के साथ शहर के सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थानों ने सभी के मनोनयन पर बधाई दिया।