किसी के साथ भेदभाव नहीं करता नाथपंथ : सतुआ बाबा

गोरखपुर

गोरखपुर, 17 सितंबर। मंगलवार को युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में समसामयिक विषयों के सम्मेलनों की श्रृंखला के तीसरे दिन ‘सामाजिक समरसता : महायोगी गोरखनाथ और नाथपंथ के विशेष संदर्भ सन्दर्भ में’ विषयक सम्मेलन को संबोधित करते हुए काशी से आए महामंडलेश्वर संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा ने कहा कि नाथपंथ सबका और सबके लिए है।
यह पंथ किसी के साथ भेदभाव नहीं करता है। इसकी विशेषता को कोई भी गोरक्षपीठ आकर देख सकता है। गोरक्षपीठ न सदैव समाज को जोड़ने और समरसता बढ़ाने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाने का काम किया है। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए जबलपुर से आए महंत नरिसंह दास ने कहा कि सामाजिक समरसता की जो अलख शिवावतार गुरु गोरखनाथ ने जगाई थी, वह नाथपंथ के संतों के लिए आज भी पथप्रदर्शक है। उन्होंने कहा विगत सौ सालों में सामाजिक समरसता बढ़ाने के लिए गोरक्षपीठ और इसके पीठाधीश्वरों, विशेषकर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज और महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने जो कार्य किए हैं, वे अनिर्वचनीय हैं। अपने गुरुजनों का अनुसरण कर वर्तमान पीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ जी भी सामाजिक समरसता के आयाम को नई ऊंचाई पर पहुंच रहे हैं।
सम्मेलन की अध्यक्षता गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, आभार ज्ञापन महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के सदस्य प्रमथनाथ मिश्र, संचालन माधवेंद्र राज, वैदिक मंगलाचरण डॉ रंगनाथ त्रिपाठी, गोरक्षाष्टक पाठ आदित्य पाण्डेय व गौरव तिवारी ने किया। इस अवसर पर दिगम्बर अखाड़ा, अयोध्या के महंत सुरेशदास, नासिक महाराष्ट्र से पधारे योगी विलासनाथ, कटक उड़ीसा से आए महंत शिवनाथ,सवाई आगरा से आए ब्रह्मचारी दासलाल, अयोध्या से आए महंत राममिलनदास, देवीपाटन शक्तिपीठ, तुलसीपुर के महंत मिथलेशनाथ, कालीबाड़ी के महंत रविन्द्रदास आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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