भाई भरत और राम का प्रेम देख भाव विभोर हुए नगरवासी
गोरखपुर
– श्री श्री रामलीला समिति आर्य नगर द्वारा आयोजित मानसरोवर रामलीला में चरित्र मंचन का छठवां दिन
निषाद राज के साथ चित्रकूट जाते हैं जहां भगवान श्री राम और भरत का मिलन होता है। दोनों भाई एक दूसरे को देखकर रोने लगते हैं। भाई भरत प्रभु अयोध्या लौटने का आग्रह करते हैं परंतु श्री राम जी पिता के दिए वचन को निभाने के लिए तुम 14 वर्ष तक अयोध्या का शासन करो और मैं 14 वर्ष बाद जब वापस आऊंगा तो मुझे राज्य लौटा देना। अब भरत निरूत्तर हो जाते हैं और राम से उनका खड़ाऊ मांगते है और खड़ाऊ अपने सर पर रख करके सभी लोगों के साथ अयोध्या वापस आ जाते हैं। यह दृश्य बहुत भावुकता भरा था। भाई का प्रेम देख पूरे नगरवासियों के आंखों से नीर छलक पड़े।
गोरखपुर। श्री श्री रामलीला समिति, आर्य नगर द्वारा आयोजित मानसरोवर रामलीला मैदान में चरित्र मंचन का छठवां दिन सोमवार को प्रभु श्रीराम माता सीता और भईया लखन के साथ पिता के आज्ञा का पालन करते हुए अयोध्या को त्याग वन की ओर प्रस्थान कर जाते हैं। अयोध्या की नगर सीमा पर सभी नर और नारी प्रभु के कहने पर वापस नगर को लौट जाते हैं, परंतु किन्नरों को कोई आदेश न मिलने के कारण सरयू तट पर अपने प्रभु का अयोध्या लौटने का इंतजार करती हैं। इधर अयोध्या में भरत जी शत्रुघ्न के साथ अपने ननिहाल से वापस आते हैं यहां पर सारी बातें सुनकर भरत अपनी मां कैकेयी के ऊपर बहुत क्रोधित होते हैं। तभी जनक जी भी अयोध्या में पधारते हैं। गुरु वशिष्ठ भरत को राज्य स्वीकार करने के लिए कहते हैं। क्योंकि बिना राजा के कोई राज्य नहीं चल सकता। इस पर भरत जी कहते हैं यह राज्य श्री राम का है और छल से मैं उनका राज्य नहीं ले सकता। भरत जी के प्रस्ताव पर भरत जी, जनक जी एवं वशिष्ठ जी तथा पूरे राज्य समाज के साथ तथा राज तिलक की समग्री के साथ श्री राम से मिलने के लिए वन को प्रस्थान करते है। रास्ते में निषाद राज से मिलते हैं और निषाद राज के साथ चित्रकूट जाते हैं जहां भगवान श्री राम और भरत का मिलन होता है।
दोनों भाई एक दूसरे को देखकर रोने लगते हैं और जब भगवान श्री राम को अपने पिता के मृत्यु का समाचार मिलता है तो बहुत दुखी होते हैं। भरतजी बार-बार श्रीराम जी अयोध्या वापस आने का आग्रह करते है। दोनो में बहुत भाऊक संवाद होता है। अंत में श्रीराम जी भरत से राजगद्दी स्वीकार कर लेते है और श्री राम जी कहते हैं पिता जी मुझे वनवास का आज्ञा दिए है और पिता जी अब स्वर्गलोक पहुंच गए है तो हम लोगों का दव्यित्व हुई की उनके वचन को पूरा करे इसलिए तुम 14 वर्ष तक अयोध्या का शासन करो और मैं 14 वर्ष बाद जब वापस आऊंगा तो मुझे राज्य लौटा देना। अब भरत निरूत्तर हो जाते हैं और राम से उनका खड़ाऊ मांगते है और खड़ाऊ अपने सर पर रख करके सभी लोगों के साथ अयोध्या वापस आ जाते हैं।
आज श्री श्री रामलीला का शुभारंभ महामंडलेश्वर कनक्केश्वरी नंद गिरी, राहुल श्रीवास्तव, शोभित मोहनदास अग्रवाल, प्रोफेसर अजय शुक्ला (पं दीदउ गोरखपुर विश्व विद्यालय के विभाग अध्यक्ष अंग्रेजी,) सिद्धनाथ त्रिपाठी, सुश्रीया त्रिपाठी, (रविन्द्र मिश्रा पर्यटन अधिकारी) पुष्प दंत जैन, राजीव रंजन अग्रवाल, दिनेश शर्मा, संजय मणि, (इंजीनियर) ने भगवान की आरती उतारी।
इस अवसर पर मुख्य रूप से राकेश श्रीवास्तव, मनीष अग्रवाल (सराफ), पीयूष अग्रवाल, पवन त्रिपाठी, दिप जी अग्रवाल, अमरदीप गुप्ता, शीतल मिश्र, अजय श्रीवास्तव, अमन गोड़, भागवत दास अग्रवाल, संतोष राजभर, अनुराग गुप्ता व अन्य लोग उपस्थित रहे।
श्री रामलीला समिति के महामंत्री पुष्पदंत जैन ने बताया कि कल नसिका भेदन,सीता हरण, जटायु मोक्ष, सेवरी आश्रम का मंचन किया जायेगा।