पिपराइच में धूमधाम से निकाली गई भव्य शोभायात्रा, रुद्र महायज्ञ का अनुष्ठान

गोरखपुर

मठिया गांव में श्री श्री रूद्र महायज्ञ का भव्य आयोजन

शोभायात्रा और रामलीला ने किया भक्तों को अभिभूत

गोरखपुर/ पिपराइच। क्षेत्र के मठिया गांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर में रविवार को श्री श्री रूद्र महायज्ञ का शुभारंभ “कलश शोभायात्रा” से किया गया। कलश यात्रा में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। इस आस्थावान उपस्थिति ने पूरे वातावरण को मंत्रमुग्ध कर दिया। शोभायात्रा का नेतृत्व घोड़ों पर सवार धर्मध्वजा थामे नवयुवकों कर रहे थे। जो गांव की गलियों को भक्तिमय बना दिया। उनके पीछे सिर पर कलश धारण किए महिलाओं का समूह चल रहा था, जिससे समूचा दृश्य दिव्य और भावपूर्ण था। मंत्रोच्चार के बीच जयघोष से वातावरण पूरी तरह भक्ति से परिपूर्ण था।

कलश यात्रा मठिया गांव से प्रारंभ होकर रमवापुर स्थित शिव मंदिर, गोनरहा मंदिर, ताज पिपरा के प्रसिद्ध मोटेश्वर शिव मंदिर होकर अंततः लखेसरा शिव मंदिर पहुंच कर संपन्न हुई। प्रत्येक पड़ाव पर श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर यात्रा का स्वागत किया। यह आयोजन भक्तों के हृदयों में अपार श्रद्धा और विश्वास का संचार कर रहा था। हर धार्मिक स्थल पर पवित्र अनुष्ठानों का आयोजन किया गया, जिसमें आस्थावान श्रद्धालुओं ने भाग लेकर भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा निवेदित की।

रुद्र महायज्ञ का धार्मिक अनुष्ठान यज्ञाचार्य हरीश चंद्र उपाध्याय के मार्गदर्शन में संपन्न हुए। इस अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार, हवन और आहुतियों के माध्यम से यज्ञकुंड की पवित्र अग्नि प्रज्वलित की गई, जिसका दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की अपार भीड़ एकत्रित हुई। यज्ञाचार्य उपाध्याय ने बताया कि यज्ञ के माध्यम से केवल धार्मिक परंपराओं का निर्वाह ही नहीं होता, बल्कि इससे सामाजिक और प्राकृतिक संतुलन भी स्थापित होता है। यज्ञ से उत्पन्न धूम्र पर्यावरण को शुद्ध करता है और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

महायज्ञ के पश्चात रात्रि में रामलीला का अद्भुत मंचन किया गया, जो इस धार्मिक आयोजन का मुख्य आकर्षण बना। रात 8 बजे से शुरू हुई रामलीला ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। प्रशिक्षित कलाकारों द्वारा जीवंत अभिनय ने राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान के चरित्रों को इस प्रकार साकार किया कि श्रद्धालु उनके आभामंडल में डूब गए। रामलीला का मंचन देर रात 1 बजे तक चला, जिसमें भगवान राम के वनवास, सीता हरण और हनुमान द्वारा लंका दहन जैसे महत्वपूर्ण प्रसंग प्रभावी रूप से प्रस्तुत किए गए।

इस अद्वितीय मंचन ने दर्शकों को आत्मविभोर कर दिया, और वे देर रात तक धार्मिक कथा का आनंद उठाते रहे। भक्तिमय गीतों और संवादों ने मंचन को और भी अधिक भावनात्मक और आकर्षक बना दिया। रामलीला के दृश्यावली और संगीत ने भक्तों के हृदयों में आध्यात्मिक जागृति का संचार किया। बच्चों से लेकर वृद्धों तक सभी ने इस मंचन की भूरि-भूरि प्रशंसा की, और इसे एक अविस्मरणीय अनुभव बताया।

इस दिव्य आयोजन को सफल बनाने में आयोजन समिति और ग्रामवासियों का अभूतपूर्व योगदान रहा। समिति के अध्यक्ष और ग्राम प्रधान चंद्रिका सिंह ने इस आयोजन की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “ग्रामवासियों के अथक सहयोग और उनकी श्रद्धा के बिना यह आयोजन संभव नहीं हो पाता। यह हमारे गांव के लिए सौभाग्य की बात है कि हम सभी ने मिलकर इस विशाल धार्मिक आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न किया।”

समिति के अन्य सदस्यों में राम नारायण मल्ल, फूल बदन विश्वकर्मा, दुर्ग विजय यादव, बलिराम यादव, सूर्य नारायण गौड़, नंद यादव, मुन्नी यादव, हरिश्चंद्र यादव, श्रवण सिंह, सुनील सिंह, संजय गुप्ता, राजू मल्ल, रमेश सिंह, धरणीधर पांडेय, अयोध्या पांडेय, गिरधारी पांडेय, प्रवीण पांडेय, राम चंद्र मल्ल, नकुल यादव, बाबूराम यादव, राम भजन निषाद, आलोक पांडेय, विशाल चौधरी, अविनाश चौधरी, दिलीप यादव, राम आशीष निषाद और हरिवंश शर्मा जैसे समर्पित व्यक्तियों ने इस आयोजन को सफल बनाने में महती भूमिका निभाई।

महायज्ञ और रामलीला के इस विशाल आयोजन में दूर-दूर से श्रद्धालु आए और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हुए धर्मलाभ प्राप्त किया। ग्रामीणों और बाहरी श्रद्धालुओं ने इस महायज्ञ को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया और इसकी भव्यता की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों से न केवल आध्यात्मिकता का प्रसार होता है, बल्कि सामाजिक समरसता और एकता को भी बल मिलता है। एक स्थानीय श्रद्धालु ने कहा, “इस आयोजन ने हमें हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ों से फिर से जोड़ा है। भगवान शिव की कृपा से हमारा जीवन अधिक पवित्र और शुद्ध हो गया है।” श्री श्री रूद्र महायज्ञ का यह आयोजन मठिया गांव और उसके आस-पास के क्षेत्र में आध्यात्मिक जागृति और भक्ति के संचार का माध्यम बना। इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों से समाज में न केवल धर्म और संस्कृति का संरक्षण होता है, बल्कि सामूहिक भावना और सामाजिक समरसता को भी बल मिलता है। श्रद्धालुओं ने इस आयोजन को अत्यंत प्रेरणादायक और मनमोहक बताया।

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