बांग्लादेश में जुलाई घोषणा-पत्र टला मगर शेख मुजीबुर्रहमान की पहचान मिटाने का खेल जारी
दिल्ली
सोशल मीडिया के कुछ हैंडल्स का दावा है कि कथित छात्र आंदोलन के नेताओं द्वारा जमीयत और कट्टरपंथियों की बातें बोलने के कारण आम जनता का समर्थन उनसे छिन गया है।
बांग्लादेश में 31 दिसंबर को होने वाला जुलाई घोषणा-पत्र टल गया। कथित छात्र आंदोलन द्वारा कतिपय कारणों का हवाला देकर इसे टाल दिया गया। मगर सोशल मीडिया के कुछ हैंडल्स का दावा है कि कथित छात्र आंदोलन के नेताओं द्वारा जमीयत और कट्टरपंथियों की बातें बोलने के कारण आम जनता का समर्थन उनसे छिन गया है। विद्यार्थियों ने इस आंदोलन का समर्थन केवल आरक्षण हटाने को लेकर किया था और जब से विश्वविद्यालयों में उन्होंने कट्टरता का माहौल और लड़कियों पर हिजाब आदि का दबाव देखा तो उनका भी मोहभंग हुआ और समर्थन भी वापस ले लिया है।
यह दावा कहीं न कहीं सच्चाई के करीब लगता है क्योंकि जुलाई घोषणापत्र की घोषणा छात्र आंदोलन के नेताओं ने की थी, मगर ऐसा लगता है कि आम लोग उनकी कार्यशैली से खुश नहीं हैं। तभी खुलना में छात्र आंदोलन के कार्यकर्ताओं और आम लोगों के बीच झड़प हो गई। खुलना और सटखीरा जिले से दस बसों में भरकर ये कार्यकर्ता ढाका में प्रायोजित “मार्च फॉर यूनिटी” में शामिल होने जा रहे थे। एंटी-डिस्क्रिमनैशन स्टूडेंट्स मूवमेंट और जातीय नागरिक कमेटी के काफिले की मद्रशहर में झड़प हुई।
हालांकि कथित छात्र आंदोलन के नेताओं का कहना है कि यह हमला उनपर अवामी लीग के नेताओं ने करवाया, मगर मोलहट पुलिस थाने के प्रभारी शफईकुल इस्लाम ने दावा किया छात्र एक स्थानीय बस काउंटर कर्मचारियों से उलझ गए और उसके बाद स्थानीय लोग भी इस झगड़े में जुड़े। यह कहा गया कि छात्र आंदोलन के कार्यकर्ताओं की बस बहुत ही तेज गति से आ रही थी और वह एक यात्री बस को जगह नहीं दे रही थी। इसलिए यह लड़ाई हुई। हो सकता है कि यह एक ही घटना हो, मगर यह घटना यह बताने के लिए पर्याप्त है कि आम जनता इनकी कार्यशैली से उतनी खुश नहीं है, जितनी अंतरिम सरकार के नेता बता रहे हैं। इस जुलाई घोषणापत्र को टाले जाने का कारण यह बताया जा रहा है कि सरकार सभी को शामिल करके इस घोषणापत्र को जारी करेगी। इस जुलाई घोषणापत्र का विरोध बांग्लादेश की मुख्य पार्टी बीएनपी ने विरोध किया था। बीएनपी का विरोध कई अवसरों पर अंतरिम सरकार के साथ दिखाई दे रहा है।
शेख मुजीबुर्रहमान की पहचान मिटाने का सिलसिला जारी
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा अब पाठ्यपुस्तकों से शेख मुजीबुर्रहमान से संबंधित विषयवस्तु को हटाया जा रहा है। डेली स्टार की एक रिपोर्ट के अनुसार कक्षा 6 से लेकर कक्षा 9 तक की कई पुस्तकों में से शेख मुजीबुर्रहमान से संबंधित कई सामग्री हटाई जा रही है। मौलाना अब्दुल हामिद खान बाशनी और तितुमीर पर भी एक-एक पाठ्यवस्तु हटाई जाएगी।
नेशनल करिकुलम एंड टेक्स्टबुक बोर्ड के अनुसार, ‘कक्षा 6 और 7 की बांग्ला पाठ्यपुस्तकों से शेख मुजीबुर रहमान पर तीन गद्य और कविताएं हटाई जा सकती हैं, तथा उनके स्थान पर जुलाई विद्रोह पर चार लेख जोड़े जाने की संभावना है।’
डेली स्टार के अनुसार, शेख मुजीबुर रहमान की आत्मकथा “अनफिनिश्ड मेमोयर्स” से रूपांतरित शेख मुजीब पर दो पाठ- “सन ऑफ द सॉइल” और “मुजीब इन स्कूल डेज़” को कक्षा छह की अंग्रेजी पाठ्यपुस्तक से हटा दिया गया है, जबकि एक कविता – “द मैजिक ई” को भी हटा दिया गया है। कक्षा सात की अंग्रेजी पाठ्यपुस्तक से दो पाठ्य- “बंगबंधु’ज लव फॉर स्पोर्ट्स” और “बंगबंधु’ज रीस्पान्सेस टू नैच्रल कलैमिटीज” हटा दिए जाएंगे।
बंगबंधु की पत्नी और शेख हसीना की मां शेख फजीलतुन्नेस मुजीब के जीवन पर एक और लेख “बंगमाता:आवर सोर्स ऑफ इन्स्परैशन” को उसी पुस्तक से हटा दिया जाएगा, जबकि छात्र-नेतृत्व वाले जन-विद्रोह पर “ए न्यू जेनरेशन” और “अवर विनर्स इन द ग्लोबल एरिना” नामक दो लेख शामिल किए जाएंगे।
कक्षा आठ की अंग्रेजी की पाठ्यपुस्तक से शेख मुजीब की भाषा आंदोलन में भूमिका, सुहरावर्दी उद्यान में 7 मार्च को उनका ऐतिहासिक संबोधन, 1971 के 26 मार्च की सुबह उनकी स्वतंत्रता की घोषणा पर आधारित “बंगबंधु और बांग्लादेश” शीर्षक वाली सामग्री भी हटाई जा रही है। पाठ्यपुस्तक में “वुमन’ज रोल इन द अपस्प्रिंग” और “हयूमेन एंड डेवलपमेंट” जैसे पाठ जोड़े जाएंगे।
कक्षा नौ की अंग्रेजी की पाठ्यपुस्तक से “फादर ऑफ द नेशन” शीर्षक वाला लेख हटाया जा सकता है, जो 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान बंगबंधु के परिवार, पाकिस्तान में कैद से उनके घर लौटने, संयुक्त राष्ट्र में उनके समय और अन्य विषयों से संबंधित है। इनके स्थान पर जुलाई में हुई कथित क्रांति को लेकर कई पाठ जोड़े जा रहे हैं। कक्षा नौ और दस की बांग्ला साहित्य की पुस्तक में रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखी गई कविता “Dena Paowna” कवि नज़रुल इस्लाम की कविता “आज सृष्टि शूकहेल उलशे” सैयद शम्सुल हक की “अमर पोरिचॉय”, निर्मलेंदु गून की “स्वाधीनोटा ई शोबदोती किभाबे अमादेर होलो”, और कमल चौधरी की “शाहोशी जोनोनी अमर” – को भी उसी किताब बाहर किया जाएगा।
बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने एक वीडियो अपनी एक्स प्रोफ़ाइल पर साझा किया जिसमें शेख मुजीबुर्रहमान और चार अन्य राष्ट्रीय नेताओं की प्रतिमाओं और स्मारकों को तंगेल शहर में म्यूनिसपल पार्क में नष्ट कर दिया गया।
उन्होंने लिखा कि इस तरीके से रजाकार के समर्थन से चल रही अंतरिम सरकार बंगाल की भूमि से लिबरैशन वार/मुक्ति संग्राम का इतिहास मिटा रही है। हालांकि हमें यह सुनिश्चित करना है कि इतिहास लोगों के दिलों से न मिटे। इस पर एक सोशल मीडिया यूजर की टिप्पणी थी कि 5 अगस्त के बाद यह बांग्लादेश में लगभग रोज हो रहा है। रजाकार समर्थन से चल रही सरकार अवामी लीग के सदस्यों को मारकर वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम का सुनहरा इतिहास मिटाना चाहती है।