ओम लता शाह के पुण्यतिथि पर दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

गोरखपुर

ओम लता शाह के 17वीं पुण्यतिथि पर बांटे गए कंबल और शाल*

गोरखपुर। बेतियाहाता स्थित नवल किशोर शाह के आवास पर शुक्रवार को स्वर्गीय ओमलता शाह की 17वीं पुण्यतिथि पर शाह परिवार की ओर से जरूरतमंदों में भोजन और कंबल का वितरण किया गया।

शाह परिवार की ओर से आयोजित श्रद्धांजलि सभा में हजारों गरीब और निर्धन लोगों को कंबल व गर्म वस्त्र वितरित किया गया। कार्यक्रम की शुभारंभ श्री स्वर्गीय ओमलता शाह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इसके बाद साधु संतों को भोजन कराया गया। नवल शाह व दामोदर शाह ने अपने हाथों से सभी को भोजन परोसा। प्रसाद ग्रहण कराने के उपरांत आए हुए सभी लोगों को कंबल, शाल और मुद्रा भेट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान साधु संतों ने राम धुन छेड़ रखी थी। एक तरफ भजन चल रहा था, तो दूसरे तरफ परिवार के लोग सभी को भोजन परोस रहे थे, तो वहीं नवल शाह गरीबों और निर्धनों में गर्म वस्त्र और मुद्रा भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे थे।

माहौल पूरी तरह से भक्ति से परिपूर्ण था। बता दें की शाह परिवार की ओर से विगत 16 वर्षों से लगातार स्वर्गीय ओम लता देवी शाह की पुण्यतिथि पर गरीब असहाय व जरूरतमंदों में गर्म वस्त्र व उनी कपड़े का वितरण किया जाता है। इसी क्रम में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ जी महाराज के प्रेरणा से जरूरतमंदों में आज भी हजारों कंबल का वितरण किया गया।

श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में पंडित परमानंद तिवारी, रामा नंद शाह, विनोद शाह, श्याम शाह, गोपाल जी छापड़िया, पवन शाह, नवल किशोर शाह, शंभू शाह, संजय शाह, कृष्ण कुमार शाह (पिंटू), अनमोल शाह, राहुल शाह, प्रवण शाह, दामोदर शाह (दामू), शिवम शाह, अमिता शाह, अनीता शाह, मंजुला शाह आदि लोग मौजूद रहे।

धर्म का आधार भी दया व दान :

वितरण समारोह के दौरान नवल शाह ने बताया कि हमारे धर्म के आधार ही दया व दान है। इस पुनीत कार्य को विगत 16 वर्षों से अपने माता जी श्रीमती ओम लता शाह की पुण्यतिथि पर गरीबों को भोजन और गरम वस्त्र का वितरण करते चले आ रहे हैं। जरूरतमंदों को आवश्यकता के लिए उनके अनुरूप समर्थ लोगों को भी आगे आना चाहिए। कंबल वितरण समारोह में करीब हजारों असहाय लोग व निर्धन महिलाओं में कंबल व साल का वितरण किये।

उन्होंने बताया कि ओम लता शाह एक समाजसेवी व धार्मिक सोच की महिला थी। वह हमेशा असहाय व निर्धनों की मदद किया करती थी। गौ सेवा में उनकी विशेष रुचि रहती थी। उनके दरवाजे से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटा।

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