धूमधाम से निकाली निशान यात्रा, नवचण्डी पाठ और भजनों पर देर रात तक झूमते रहे श्रृद्धालु
गोरखपुर
![](https://raptisimran.com/wp-content/uploads/2025/01/IMG-20250105-WA0019-780x470.jpg)
मां शाकम्भरी वार्षिक महोत्सव: श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिकता का अनुपम संगम
धूमधाम से निकाली निशान यात्रा, लक्ष्मी जोशी और संगीता सिंघानिया के भजनों पर झूमते रहे श्रृद्धालु
नवचण्डी पाठ से गूंजा पंडाल, सूरत से पधारीं मंगलपाठ वाचिका सुरभि बिरजुका के वाचन से माहौल को पूरी तरह भक्तिमय बना दिया
माँ की झांकी नृत्य-नाटिका कोलकाता के कलाकारों की प्रस्तुति ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया
गोरखपुर। मां शाकम्भरी भक्त मंडल द्वारा वार्षिक महोत्सव रविवार को सिविल लाइंस स्थित नेपाल क्लब में आयोजित हुआ। आस्था और श्रद्धा का संगम झलक रहा था। मां के श्रद्धा में बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे। पूरे भक्तिमय माहौल में सभी ने माँ शाकम्भरी के चरणों में अपनी श्रद्धा निवेदित की।
महोत्सव का शुभारंभ प्रातः नवचण्डी पाठ से हुआ। इस पावन अनुष्ठान में भक्तों ने मंत्रोच्चार और श्रद्धा के साथ मां के श्रीचरणों में समर्पण भाव व्यक्त किया।
कार्यक्रम की शुरुआत निशान यात्रा से हुई। मैया की निशान यात्रा ने सिविल लाइन स्थित गोकुल अतिथि भवन से दोपहर एक बजे निकली गई। जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल थे। इस कंपकंपाती ठंड में भी मैया भक्तों का जोश देखते ही बन रहा था। सब लोग भजन करते हुए नेपाल क्लब लॉन में प्रवेश कर मैया को निशान अर्पित किए।
![](https://raptisimran.com/wp-content/uploads/2025/01/IMG-20250105-WA0011.jpg)
इसके बाद शुरू हुआ नवचण्डी पाठ जिसे सूरत से पधारीं विख्यात मंगलपाठ वाचिका सुरभि बिरजुका ने अपनी दिव्य वाणी से वातावरण को पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। उनका वाचन ऐसा था मानो स्वयं माँ शाकम्भरी भक्तों को अपने आशीर्वाद से अभिसिंचित कर रही हों। यह सिलसिला शाम से शुरू होकर देर रात तक चलता रहा और भक्त मंगलपाठ के धुन पर झूमते रहे। देर रात में महाआरती के बाद भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
इस दौरान कोलकाता के सुप्रसिद्ध कलाकारों ने माँ शाकम्भरी की लीलाओं पर आधारित नृत्य-नाटिका प्रस्तुत की, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। भजन गायिकाएँ लक्ष्मी जोशी और संगीता सिंघानिया ने अपने मधुर भजनों से हर मन को भक्ति के रस में डुबो दिया। उनके सुरों की मिठास और भजनों की गहराई ने हर श्रद्धालु को माँ के प्रति समर्पण के भाव से ओतप्रोत कर दिया।
ज्योत प्रज्वलित संस्था के अध्यक्ष संजय रामरायका और पुष्पदंत जैन ने किया।
कार्यक्रम में नगर के महापौर ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर अपनी पूरी सहभागिता दी उन्होंने ना केवल वहाँ उपस्थित होकर पूरे कार्यक्रम का आनंद लिया अपितु आगे इसे और बड़े रूप में करने के लिए प्रेरित भी किया।
कार्यक्रम के आयोजक एवं समिति के सचिव आशीष जोशी ने बताया, “यह महोत्सव मां शाकम्भरी की असीम अनुकंपा और भक्तों के सामूहिक प्रयास का सजीव उदाहरण है।
संस्था के कोषाध्यक्ष एवं कार्यक्रम के सह संयोजक ने बताया कि हमारा प्रयास है कि यह आयोजन हर वर्ष और अधिक दिव्यता और श्रद्धा के साथ संपन्न हो।”
सूरत से पधारीं विख्यात मंगलपाठ वाचिका सुरभि बिरजुका ने अपनी दिव्य वाणी से वातावरण को पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। उनका वाचन ऐसा था मानो स्वयं माँ शाकम्भरी भक्तों को अपने आशीर्वाद से अभिसिंचित कर रही हों।
पूरे दिन भक्तिरस से परिपूर्ण विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कोलकाता के सुप्रसिद्ध कलाकारों ने माँ शाकम्भरी की लीलाओं पर आधारित नृत्य-नाटिका प्रस्तुत की, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
निशान यात्रा में भजन गायिका लक्ष्मी जोशी और संगीता सिंघानिया ने अपने मधुर भजनों से भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। सभी को भक्ति के रस में डुबो दिया। उनके सुरों की मिठास और भजनों की गहराई ने हर श्रद्धालु को माँ के प्रति समर्पण के भाव से ओतप्रोत कर दिया।
महोत्सव का प्रमुख आकर्षण छप्पन भोग और सवामनी रहा। माँ को समर्पित पारंपरिक व्यंजनों का यह दिव्य प्रसाद श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक तृप्ति का अनुभव कराता प्रतीत हुआ। नव कन्याओं के पूजन में माँ के बाल स्वरूप की आराधना की गई, जिसमें भक्तों ने माँ के स्वरूप को नमन करते हुए कन्याओं का पूजन किया और उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया।
महाआरती इस आयोजन का दिव्यतम क्षण था। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने एक साथ माँ की आरती में भाग लिया। शंखनाद, घंटे-घड़ियालों की गूंज और भक्तों के स्वर से सारा वातावरण माँ की कृपा से आलोकित हो उठा। महाआरती के पश्चात माँ का खजाना खोला गया, जिसमें भक्तों ने अपनी श्रद्धा अर्पित की। महाप्रसाद के रूप में हलवा-पूड़ी और अन्य व्यंजनों का वितरण हुआ, जिसे ग्रहण कर सभी ने माँ की कृपा का अनुभव किया।
महोत्सव में सुशील सोंठालिया, महेश अग्रवाल, मुकेश सोन्यालिया, अशोक जोशी, विशेष जोशी, नितिन अग्रवाल, कैलाशचंद्र सराफ़, अरुण क्याल, दीपक रामरायका, हर्ष रामरायका, विकास अग्रवाल, प्रदीप कानोडिया, नवल जोशी, पंकज मोदी, पवन जालान, अमित टिबड़ेवाल, मनीष सर्राफ, गौरव सर्राफ, राजेंद्र पोदार, राजेश चिरानिया, ललित क्याल, हेमंत धानुका, राहुल सर्राफ, आनंद क्याल, डॉ. आर.पी. शुक्ला, रोहन जोशी, रूपेश शुक्ला, निखिल अग्रवाल, निशांत अग्रवाल, दीपक रामरायका, गौरव चिरानिया, हर्ष रामरायका, अशोक अग्रवाल, आशुतोष मिश्र ने अपनी अद्वितीय भूमिका निभाई।
विशिष्ट सहयोग में पुष्पदंत जैन (राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार), नवल शाह, पुरुषोत्तम रामरायका, अतुल सर्राफ, पवन सिंघानिया, विक्रम सर्राफ, जगदीश आनंद, संतोष अग्रवाल, विकास केजरीवाल, मनोज मातनहेलिया, प्रमोद मातनहेलिया, अमित टिबड़ेवाल, संतोष जालान, जय सर्राफ, मनीष रूंगटा, संजय अग्रवाल, राजेश टिबड़ेवाल और महेश पोद्दार का योगदान अतुलनीय रहा।