ऐश्प्रा फाउंडेशन की पहल से 33वें आरओ प्लांट का शुभारंभ

गोरखपुर

निःशुल्क आरओ प्लांट का शुभारंभ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) डॉ. गौरव ग्रोवर ने किया 

– 800 लीटर प्रति घंटा की क्षमता वाले प्लांट से शुद्ध पेयजल आसानी से उपलब्ध
– अतिरिक्त जल भूगर्भ में वापस भेजकर जल संरक्षण का भी रखा ध्यान

गोरखपुर, 7 जनवरी 2025 : ऐश्प्रा फाउंडेशन की पहल के अंतर्गत हरि प्रसाद गोपी कृष्ण सराफ प्राइवेट लिमिटेड द्वारा थाना, एम्स, गोरखपुर परिसर में 33वें निशुल्क आरओ और चिल्ड वॉटर प्लांट का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल गोरखपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) डॉ. गौरव ग्रोवर (IPS) ने प्लांट का शुभारंभ किया। उनके साथ एसपी सिटी श्री अभिनव त्यागी (IPS) एवं क्षेत्राधिकारी, कैंट श्री योगेन्द्र सिंह (PPS) और श्री संजय कुमार मिश्रा, प्रभारी, एम्स, ऐश्प्रा के डायरेक्टर श्री अतुल सराफ, श्री अनूप सराफ, श्री वैभव सराफ और श्री सौमित्र सराफ समेत सम्मानित कर्मचारीगण और स्थानीय नागरिक व गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य समाज को शुद्ध एवं शीतल पेयजल की सुविधा प्रदान करना है।

इस अवसर पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. गौरव ग्रोवर ने ऐश्प्रा फाउंडेशन के इस प्रयास की प्रशंसा करते हुए कहा, “यह पहल शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के साथ-साथ समाज में जल संरक्षण और स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति जागरूकता और सकारात्मक बदलाव लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।”

पुलिस अधीक्षक श्री अभिनव त्यागी (IPS) ने कहा, “इस पहल से शुद्ध जल मिलने के साथ ही समाज में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद भी मिलेगी।” क्षेत्राधिकारी श्री योगेन्द्र सिंह ने जल संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए इसे समाज में जागरूकता और शुद्ध पेय जल की उपलब्धता के माध्यम से स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा देने वाली एक प्रेरणादायक पहल बताया।

ऐश्प्रा जेम्स एंड ज्वेल्स के डायरेक्टर श्री अनूप सराफ और श्री वैभव सराफ ने इस अवसर पर समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी दोहराते हुए कहा, “हम न केवल शुद्ध जल उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयासरत हैं, बल्कि जल शुद्धि की प्रक्रिया में होने वाली पानी की बर्बादी को रोकना भी हमारी प्राथमिकता है। 800 लीटर प्रति घंटे की क्षमता वाला यह प्लांट एक बोरिंग से भूगर्भीय जल लेकर उसे शुद्ध करता है और दूसरी बोरिंग के ज़रिये आरओ प्रक्रिया से निकले अतिरिक्त अतिरिक्तजल को भूगर्भ में लौटाता है। ऐसे प्रयासों को भविष्य में भी जारी रखने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।”

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