मन की पीड़ा का समाधान बता जीवन को खुशहाल बना रहे हैं रमेन्द्र

गोरखपुर

मन की पीड़ा का समाधान बता जीवन को खुशहाल बना रहे हैं रमेन्द्र

5000 से ज्यादा लोगों को परामर्श देकर उनके जीवन में ला चुके हैं खुशहाली

गोरखपुर। ‘कहेहू ते कछु दुख घटि होई, काहि कहौं यह जान न कोई’ यानि मन का दुख कह डालने से भी कुछ कम हो जाता है, पर कहूं किससे, यह दुख कोई नहीं जानता ? इन पंक्तियों के भावों को समझते हुए लोगों के मन के दर्द को दूर करने का कार्य कर रहे नैदानिक मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता रमेन्द्र त्रिपाठी। वह मन की पीड़ा का समाधान बता कर लोगों के जीवन को खुशहाल बना रहे हैं । वर्ष 2017 से लेकर 2019 तक विभिन्न कैम्प के माध्यम से उन्होंने परामर्श सेवाएं दीं, जबकि 2019 के बाद से कैम्प के साथ ही साथ जिला अस्पताल में स्थापित मनकक्ष में भी वह परामर्श देते हैं । वह करीब 5000 से ज्यादा लोगों को परामर्श देकर उनके जीवन को खुशहाल बना चुके हैं।

चरगांवा ब्लॉक के मानीराम की रहने वाली 28 वर्षीय पूर्णिमा सिंह सिविल सर्विसेज की तैयारी करती हैं। उन्हें कुछ समय से अवसाद की समस्या थी जो बाद में भूलने की समस्या में बदल गई। अपने भाई की राय पर वह जिला अस्पताल के मनकक्ष गईं। वहां पर नैदानिक मनोवैज्ञानिक रमेन्द्र से बात हुई। विशेषज्ञ ने उनकी समस्या सुनी और प्राणायाम करने की सलाह दी। पुरानी बातें सुबह-सुबह दोबारा याद कर लिखने के लिए कहा। इस अभ्यास से पूर्णिमा की अवसाद की समस्या समाप्त हो गई है। कुछ और सत्रों में पूर्णिमा को अधिक बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद है। वह बताती हैं कि एक दो बार के ही परामर्श सत्र के बाद उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है।

नैदानिक मनोवैज्ञानिक रमेन्द्र ने बताया कि तनाव, अवसाद, भूलने की समस्या जैसी कई ऐसी मानसिक बीमारियां हैं जिनमें परामर्श की अहम भूमिका होती है । औसतन वह 100 से 110 लोगों को हर माह परामर्श दे पाते हैं । एक व्यक्ति पर 30 से 45 मिनट तक का समय लगता है । पहले सामने वाले की बात सुननी होती है और फिर समस्या का समाधान बताना होता है । स्वास्थ्य केंद्रों पर लगने वाले कैम्प में जिन लोगों को परामर्श नहीं मिल पाता उन्हें भी मनकक्ष में बुलाया जाता है । जेल, शरणालय, किशोर सुधार गृह आदि में मौके पर ही परामर्श दिया जाता है । मनकक्ष के नम्बर पर कॉल करने पर आवश्यकतानुसार टेलीफोनिक परामर्श भी दिया जाता है ।

श्री त्रिपाठी बताते हैं कि परामर्श की जरूरत ज्यादातर 18 से 50 के आयु वर्ग में देखी जाती है। परीक्षा का तनाव, आर्थिक तनाव, नौकरी की दिक्कत, नव विवाहिताओं में तनाव, मोबाइल की लत,चिंता, डर,और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं के लोग ज्यादा मिलते हैं । कोविड काल के दौरान तनाव का स्तर और अधिक था। उस समय कई लोग रात में कॉल कर देते थे और कई बार लाभार्थी को टेलीफोन पर बात करने के बाद ही काफी अच्छा महसूस होता था और वह ठीक हो जाते थे। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत इस परामर्श की व्यवस्था के संचालन में सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे, नोडल अधिकारी डॉ एके चौधरी और मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ अमित शाही का हर समय मार्गदर्शन मिलता रहता है ।

इस नम्बर पर करना है कॉल

डॉ आशुतोष कुमार दूबे (मुख्य चिकित्सा अधिकारी)

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे बताते हैं कि स्थापना से लेकर अब तक मनकक्ष के हेल्पलाइन नंबर 9336929266 पर और कक्ष संख्या 50 में 3000 से ज्यादा लोगों के मन की बातें सुनी गयीं और उनको सही सलाह दी गयी है । इस नम्बर पर सुबह आठ बजे से अपराह्न 2.00 बजे तक कॉल करके परामर्श प्राप्त कर सकते हैं। विशेष परिस्थिति में कभी भी इस नम्बर पर कॉल किया जा सकता है । परामर्शदाता द्वारा समर्पित भाव से सेवाएं दी जा रही हैं।

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