पिता की सतर्कता से छह माह में कुष्ठ मुक्त हो गयी बिटिया
संजीवनी
चेहरे और हथेली पर दाग देख तुरंत चिकित्सक से किया था सम्पर्क
गोरखपुर। बच्चों में कुष्ठ रोग होना अधिक संवेदनशील माना जाता है । ढेर सारे अभिभावक इन लक्षणों के प्रति सतर्कता नहीं दिखा पाते, जिसके कारण आगे जाकर ऐसे बच्चें दिव्यांगता का शिकार हो सकते हैं, लेकिन कुछ अभिभावक ऐसे भी हैं जो बच्चों की सेहत के प्रति सजग रहते हैं। चरगांवा ब्लॉक के ऐसे ही एक पिता की सतर्कता से आठ साल की उम्र में ही बच्ची में कुष्ठ की पहचान हो गयी और महज छह माह के इलाज से बिटिया कुष्ठ से मुक्त हो गयी । बच्ची के पिता ने चेहरे और हथेली पर दाग देख तुरंत निजी चिकित्सक को दिखाया था। वहां से बीआरडी मेडिकल कॉलेज गये जहां कुष्ठ की पहचान हुई । चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से छह माह तक लगातार दवा चली और बच्ची ठीक हो गयी ।
पादरी बाजार के मोहनापुर निवासी 40 वर्षीय अजय (बदला हुआ नाम) के तीन बच्चे हैं। वह पेशे से मजदूर हैं । वह बताते हैं कि उनकी तीसरी बेटी जब आठ साल की हुई तो चेहरे पर सिर के पास और दायीं हथेली में छोटे छोटे दाग दिखने लगे। बच्ची चौथी कक्षा में पढ़ने जाती थी । दाग व धब्बों की संख्या धीरे धीरे बढ़ने लगी तो चिंता बढ़ गयी। लड़की के चेहरे पर दाग होने के कारण हम लोग और परेशान हो गये क्योंकि आगे चल कर शादी ब्याह में भी दिक्कतें हो सकती थीं। एक निजी चिकित्सक के यहां दिखाया गया और दवा भी चली, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ । बिना देरी किये बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले गया जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद कुष्ठ की दवा चलाने को कहा। दवा के लिए चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया गया ।
चरगांवा पीएचसी नान मेडिकल सुपरवाइजर (एनएमएस) विनय कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि जांच में बच्ची को पासी बेसिलाई (पीबी) कुष्ठ रोगी पाया गया । प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ धनंजय कुशवाहा की देखरेख में 13 अगस्त 2019 को पंजीकरण कर बच्ची की दवा शुरू कर दी गयी । छह महीने तक बच्ची को रोज एक गोली खाना था । आशा कार्यकर्ता को निगरानी के लिए भी बोल दिया गया । छह जनवरी 2020 तक बच्ची की दवा पूरी हो गयी और उसके दाग धब्बों की संख्या ठहर गयी । दाग भी हल्के हो गये और वहां के नसों में संवेदना भी आ गयी। बच्ची का अभी भी फॉलो अप किया जा रहा है ।
आसपास के लोगों को खिलाई गई दवा
बच्ची के पिता ने बताया कि जब उनकी बेटी का इलाज शुरू हुआ तो स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव का दौरा किया। टीम ने आसपास रहने वाले सभी लोगों को दवा खिलाया । अच्छी बात यह रही कि कुष्ठ रोगी के तौर पर आसपास के लोगों ने कभी कोई भेदभाव नहीं किया । अब बच्ची ठीक है और दाग धब्बों के निशान कम हो गये हैं । कुष्ठ रोग विभाग की सेवा से वह संतुष्ट हैं ।
तीन बाल रोगियों का चल रहा इलाज
जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता ने बताया कि जिले में इस समय तीन बाल कुष्ठ रोगियों का इलाज चल रहा है। अगर शरीर पर कहीं भी चमड़े के रंग से हल्के रंग के सुन्न दाग धब्बे हों तो यह कुष्ठ हो सकता है । अगर यह लक्षण दिखते ही तुरंत जांच करवा कर इलाज शुरू कराया जाए तो छह महीने की मल्टी ड्रग थेरेपी से ही ठीक हो सकते हैं।
कुष्ठ से मुक्त हुए बच्चे
वित्तीय वर्ष मुक्त हुए बच्चों की संख्या
2018-19 12
2019-20 13
2020-21 02
2021-22 05
2022-23 04
तीव्र संक्रमण का संकेत
जिला कुष्ठ निवारण अधिकारी डॉ गणेश यादव का कहना है कि जिले में कहीं भी बाल कुष्ठ रोगियों का मिलना इस बात का संकेत है कि सम्बन्धित क्षेत्र में तीव्र संक्रमण हो रहा है । ऐसे स्थानों पर फोकस्ड लैप्रोसी कैम्पन (एफएलसी) चलाने का प्राविधान है जिसके तहत शहरी क्षेत्र में 300 घरों में जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में पूरे गांव की स्क्रिनिंग की जाती है । दिव्यांग कुष्ठ रोगी मिलने पर भी एफएलसी चलाते हैं । इसके तहत सभी को कुष्ठ से बचाव की दवा भी दी जाती है। सभी संबंधित को दिशा निर्देश है कि जिले में जहां कहीं भी बाल कुष्ठ रोगी हैं या नये बाल कुष्ठ रोगी मिलते हैं वहां अतिरिक्त सतर्कता बरती जाए।