भारत अवतारों की भूमि, जहां भगवान अवतरित होते है : बालक दास
श्री शिव महापुराण कथा के चौथे दिन कथा व्यास ने कहा कि भगवान जिसको अपना मानते है उसी को कथा सुनने का अवसर प्राप्त होता है
गोरखपुर। श्री गोरखनाथ मंदिर में मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर आयोजित सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के चौथे दिन कथा व्यास पंडित बालक दास ने व्यासपीठ से कहा कि जिसको भगवान चाहते है जिसको अपना मानते है उसी को कथा सुनने का अवसर प्राप्त होता है। जब हमारे पूर्व जन्म के पुण्य का उदय होता है तब हम संतो का संग प्राप्त करते हैं।
भारत देश की प्रसंसा करते हुये कथा व्यास ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां भगवान अवतरित होते है और भक्तों के दुखो को दूर करते है। भारत अवतारों की भूमि है। ईश्वर धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश करने के लिए अनेक रूपों में आते है। यहाँ लक्ष्मी का नित्य वास रहता है। इसीलिए इसे सोने की चिड़िया कहा जाता है। इसी भाव को कहते हुए कथा व्यास ने “जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा वह भारत देश है मेरा” गीत गाकर भारत की महिमा का वर्णन किया।
कथा व्यास ने कहा कि इस संसार में कोई किसी का नहीं होता, सभी संबंध क्षणिक व स्वार्थ जन्य है। यदि कोई किसी का है तो केवल शिव का है। शिव ही सबके सच्चे संबंधी है। लोग आप के संबंधी तभी तक रहते है जब तक आप के पास धन ,संपत्ति, बल, वैभव हो। सभी संबंध केवल स्वार्थ के होते है लेकिन परमार्थ का संबंध तो शिव से ही है जिसका संसार में कोई नहीं होता उस अनाथ के नाथ बाबा भोले नाथ ही होते है।
कथा व्यास ने कहा कि मनुष्य का जन्म ही पाना बड़ा दुर्लभ है।यदि भारत भूमि में जन्म हुआ है तो बिना देर किए शिव की भक्ति में मन लगालो पता नही फिर ऐसा सुंदर अवसर मिले न मिले।
नारी शक्ति की महिमा का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने कहा कि बेटियों का सम्मान करना चाहिए बेटियां घर की लक्ष्मी होती है। बेटियां ही बहु बनती है, बहू ही माता बनती है। और माता ही सृष्टि को विस्तार करती है। घर में बेटियां अपना भाग्य लेकर पैदा होती है, उनके लिए चिंता नहीं करनी चाहिए। दुर्भाग्य है की बेटियां मां के गर्भ में भी सुरक्षित नहीं है।
कथा को विस्तार देते हुए कथा व्यास ने आज शिव पार्वती के विवाह के बाद के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि जब शिव जी पार्वती जी के साथ कैलाश पर पहुंचते है तो सभी शिव गण झूम उठते है और शिव की आरती करते हैं।
भगवान् शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और कहते हैं कि अपना कल्याण चाहने वाले को श्रीराम का भजन करते रहना चाहिए। कोई राम का नाम जपता है तो उस पर मै अधिक प्रसन्न होता हूँ। राम किसी व्यक्ति का हीं नाम नहीं है अपितु राम वह है जो योगियों के मन में रमण करता है। राम का भजन करने से सबका भजन हो जाता है। इसलिए जो आत्माराम में अपने मन को स्थिर करे वहीं सन्त होता है।
उन्होंने बताया कि शिव शिवा का मिलन होता है तो संसार का कल्याण होता है। उनके मिलन से हीं रामचरितमानस ग्रन्थ निकलता है, उनके मिलन से हीं श्रीमद्भागवत ग्रन्थ बनता है। उनके मिलन से हीं योग विद्या निकलती है। शिव का अर्थ हीं कल्याणकारी होता है। कल्याणकारी शक्ति हीं शिवा है और उस शक्ति से मिलकर संसार का कल्याण करने वाला हीं शिव है। इसलिए इनका मिलन कल्याण का कारक बनता है। उन्होंने इसी सन्दर्भ में आदियोगी मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गोरखनाथ के अवतार की कथा भी सुनाई और बताया कि गुरु गोरखनाथ जी साक्षात् शिव के अवतार है।
कथा व्यास ने ताडकासुर का उपद्रव और भगवान् कार्तिकेय की उत्पत्ति तथा उनके द्वारा उसका वध, देवताओं के द्वारा उनकी स्तुति, भगवान् गणेश की उत्पत्ति इत्यादि की कथा सुनाई।
कथा में योगी कमल नाथ जी, पंडित रामनुज त्रिपाठी वैदिक जी, योगी धर्मेन्द्रनाथ, यजमान अवधेश सिंह, बैजनाथ जायसवाल, उमेश अग्रहरि सपत्नीक तथा बड़ी संख्या में कथा प्रेमी, श्रद्धालु उपस्थित रहे।
कथा में यजमान गण ने व्यास पीठ का पूजन तथा आरती किया। कथा समापन के बाद प्रसाद वितरण हुआ । मंच संचालन डॉ॰ श्रीभगवान सिंह ने किया।