नौकरी ही नहीं, जीने के लिए भी शिक्षा अनिवार्य है – प्रत्यूष शर्मा

गोरखपुर

पढ़ना सबको है पहले छात्र बनो। आवश्यकता को समझते हुए विषय की तैयारी करें। वर्तमान में परीक्षा विषय की नहीं, छात्रों के सीखने व सोचने समझने की क्षमता की होती है। जीवन में कुछ भी करने के लिए सफल होना जरूरी है। नौकरी ही नहीं जीने के लिए भी शिक्षा अनिवार्य है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में बेहतरीन होता है। विद्यार्थियों के अन्दर सेल्फ रिस्पेक्ट व धैर्य बेहद जरूरी है।

गोरखपुर। उपरोक्त बातें स्वामी विवेकानंद शिक्षा मिशन के सचिव मा. प्रत्यूष शर्मा ने पक्कीबाग सरस्वती शिशु मन्दिर में कहीं। आज प्रातः वे अपनी संस्था के तत्वावधान में चलाए जा रहे मिशन, शिक्षा क्रान्ति’ के तहत विद्यालय में उपस्थित हुए थे। पूरे दो सत्रों में उन्होंने क्रमशः विद्यालय के 10वीं व 12वीं के छात्र- छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए उन्हें बड़े ही सरल तरीके से कठिन से कठिन विषय को समझने का मंत्र दिया। छात्र छात्राओं को आगे बताते हुए कहा कि बोर्ड परीक्षा का अपना एक महत्व है इसके बाद ही आगे की विभिन्न प्रतियोगिताओं के द्वार खुलते हैं। इसलिए प्रत्येक प्रतियोगिता की डिमाण्ड को समझने की आवश्यकता है और उसके अनुरूप तैयारी भी करनी होगी तभी सफलता प्राप्त होगी। उन्होंने संस्कार पक्ष पर भी जोर देते हुए कहा कि एक विद्यार्थी के जीवन में सबसे पहले संस्कार जरूरी है। प्रत्येक कक्षा में ऐसे पढ़ें जैसे पहली और अंतिम बार पढ़ रहे हों। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को ह्यपोथेटिकल दुनियाँ से बाहर निकलना होगा। उन्होंने सनातन धर्म की वैज्ञानिकता को भी उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करते हुए कहा कि ‘सनातन को पढ़ लीजिए विज्ञान खुद सुलभ हो जाएगा।’ सपने बड़े देखें उसके अनुरूप कर्म भी करें।

इससे पूर्व विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ राजेश सिंह जी ने मंचस्थ अतिथि का परिचय कराते हुए कहा कि आज बड़े ही सौभाग्य का विषय है कि मा. प्रत्यूष शर्मा जी हम सभी के मध्य उपस्थित हैं, और अगले तीन दिनों तक आपका व आपके सहयोगी बन्धुओं का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। आप शिशु मन्दिर, पक्कीबाग के 1988 बैच के छात्र भी रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.एस.सी गोल्ड मेडलिस्ट (1997 बैच) एवं वर्ष 2012 के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी आप सम्मानित हैं।

कार्यक्रम का संचालन श्री दिवाकर मिश्र ने किया, आभार ज्ञापन विद्यालय की प्रथम सहायक श्रीमती रुक्मिणी उपाध्याय ने किया। इस अवसर पर विद्यालय के समस्त आचार्य/ आचार्या उपस्थित रहे।

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