आरबीएसके की मदद से बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अनन्या को मिला नया जीवन
स्वास्थ्य
पहली बार योजना के तहत मेडिकल कॉलेज में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट की हुई सफल सर्जरी
चरगांवा पीएचसी के आरबीएसके टीम की मदद से जन्मजात विकृति से मिली मुक्ति
गोरखपुर। चरगांवा ब्लॉक जंगल बहादुर अली की पांच वर्षीय बच्ची अनन्या को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की मदद से बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में नया जीवन मिला है । योजना के तहत जिले में पहली बार इस बच्ची के न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट की मेडिकल कॉलेज में सफल सर्जरी हुई है । चरगांवा पीएचसी की टीम की मदद से बच्ची को इस जन्मजात विकृति से मुक्ति मिली ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिले में इससे पहले छह न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से पीड़ित बच्चों की सर्जरी जिले से बाहर भेज कर कराई गई। पहली बार जिले के भीतर मेडिकल कॉलेज की सर्जन डॉ रेनू कुशवाहा ने यह सर्जरी की है। सर्जरी सफल है और बच्ची सामान्य जीवन जी रही है। परिवार के लिए प्लानिंग करने से पहले और गर्भावस्था में महिला की ओर से आयरन फोलिक एसिड का सेवन न करने से पैदा होने वाले शिशु में इस जन्मजात विकृति की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए आशा और एएनएम की मदद से किशोरावस्था से ही इन गोलियों की सेवन शुरू कर देना चाहिए।
अनन्या की 25 वर्षीय मां अनीता ने बताया कि उनके पति मजदूरी करते हैं । जब अनन्या पैदा हुई तभी इसके पीठ पर मांस का टुकड़ा दिखा । निजी अस्पताल में तुरंत दिखाया गया लेकिन डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए 20000 रुपये मांगे । साथ ही यह भी बताया कि यह ऑपरेशन जोखिम भरा होता है । यह सुन कर हम लोग डर गये और इलाज नहीं कराया। बच्ची के बड़े होने के साथ साथ यह टुकड़ा बढ़ता गया। कई लोग ताना भी मारने लगे। पूरा परिवार यह सोच कर डर रहा था कि बच्ची की शादी कैसे होगी ।
अनीता ने बताया कि नवम्बर 2022 में आरबीएसके टीम के डॉ पवन, डॉ बीके सिंह, पुनीता पांडेय और विमल वर्मा की टीम गांव आई थी । गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उमा ने बताया कि मेडिकल टीम आई है । बच्ची को वहां लेकर गये तो डॉ पवन ने बच्ची को देखा और चरगांवा पीएचसी बुलाया । वहां जाने के बाद आरबीएसके टीम की गाड़ी से मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। वहां डॉक्टर ने एमआरआई कराने को कहा । एमआरआई के खर्च में भी टीम ने व्यक्तिगत तौर पर मदद की । फरवरी में एमआरआई हुई और उसके बाद 11 अप्रैल को बच्ची को कॉलेज में भर्ती किया गया । सर्जरी के एक सप्ताह बाद बच्ची का टांका काटा गया । अब पीठ सामान्य है और उसे दर्द भी नहीं होता है । पीठ पर जब मांस था तो थोड़ी सी भी चोट लगने पर दर्द होने लगता था ।
सफल सर्जरी से मिला संतोष
आरबीएसके टीम के चिकित्सक डॉ बीके सिंह और डॉ पवन ने बताया कि बच्ची के इलाज के हर चरण में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ धनंजय कुशवाहा और आरबीएसके की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना ने विशेष सहयोग किया । यह सर्जरी जोखिम भरी और जटिल होती है, लेकिन मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर कुशवाहा के प्रयासों से सफल सर्जरी संभव हुई । इससे हमे भी मानसिक संतोष मिला ।
शिक्षक, आशा और आंगनबाड़ी की लें मदद
योजना की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना ने बताया कि जिले के प्रत्येक सरकारी स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र पर आरबीएसके टीम जाती हैं । टीम 48 प्रकार के बीमारियों के लिए स्क्रीनिंग करती है । नोडल अधिकारी डॉ नंद कुमार के दिशा निर्देशन में गंभीर बीमारियों के चिन्हित बच्चों को जिले से बाहर भेज कर भी इलाज कराया जा रहा है । सुविधा का लाभ लेने के लिए सरकारी स्कूल के शिक्षक, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के जरिये मदद लेनी चाहिए ।